अमरनाथ यात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. इस यात्रा का मुख्य आकर्षण हिमलिंग है, जो भगवान शिव का प्रतीक है. माना जाता है कि जीवन की हर बाधा और मुश्किल बाबा अमरनाथ के दर्शन से दूर हो जाती है और भक्तों को मनोकामना पूर्ति का वरदान भी मिलता है.
अमरनाथ गुफा का महत्व
अमरनाथ की पवित्र गुफा में बनने वाला हिमलिंग विज्ञान के लिए एक बड़ी चुनौती है, जबकि श्रद्धालुओं के लिए यह आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. इस गुफा में भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव आज भी साक्षात विराजमान हैं.
शिवलिंग का निर्माण और वैज्ञानिक पहलू
हर साल अमरनाथ गुफा नें एक शिवलिंग अपने आप ही आकार ले लेता है. गुफा के भीतरी हिस्से के एक कोने में हर साल उसी स्थान पर हिमलिंग का बनना विज्ञान को चुनौती देता है. यह बर्फ़ आम बर्फ़ से बिल्कुल अलग होती है और बेहद ठोस होती है.
हिमलिंग का एक संबंध चंद्रमा से भी माना जाता है. पूर्णिमा पर अपने पूर्ण आकार में आ जाने वाला चांद अमावस्या तक गायब हो जाता है. गुफा में बनने वाला हिमलिंग भी चांद के साथ ही बढ़ता है और पूर्णिमा को अपने वृहद आकार में होता है.
शिव और पार्वती की कथा
पुराणों के मुताबिक, भगवान शिव माता पार्वती को अमरनाथ की कहानी सुनाने के लिए इसी गुफा में लेकर आए थे. कहानी सुनने के दौरान माता पार्वती को नींद आ गई, लेकिन वहां मौजूद कबूतरों का एक जोड़ा भगवान शिव की कथा सुनता रहा, कथा सुन लेने के चलते इन कबूतरों को भी अमृत्व प्राप्त हुआ और आज भी अमरनाथ गुफा के दर्शन करते वक्त कबूतर दिख ही जाते हैं.
अमरनाथ यात्रा का महत्व
मार्कंडेय ऋषि ने भगवान शंकर की उपासना करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया. इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को जीवनकाल के अंदर मृत्यु को देने वाला कोई भी कार्य नष्ट हो जाता है और उसकी आयु अनंतकाल तक बढ़ जाती है.
अमरनाथ यात्रा मुक्ति और मोक्ष की यात्रा है. जब कोई साधक अमरनाथ यात्रा के मर्म को समझकर भगवान शिव के दर्शन करता है, तो निश्चित रूप से मुक्ति तक जाने के उसके मार्ग खुल जाते हैं. इस यात्रा का हर पड़ाव जीवन की वासनाओं को दूर करने का अवसर प्रदान करता है.