राम की नगरी, अयोध्या, एक बार फिर आस्था, भक्ति और परंपरा की त्रिवेणी में डूबने को तैयार है. जैसे-जैसे नवरात्र का शुभारंभ नज़दीक आ रहा है, वैसे-वैसे शहर में तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है. कोलकाता से आए कुशल मूर्तिकार मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुटे हैं.
2100 स्थान पर होंगे दूर्गा पूजा पंडाल
मिट्टी से लेकर श्रृंगार तक हर कदम पर झलक रही है श्रद्धा और शिल्प का अद्वितीय संगम. मां जगदंबा के आगमन के लिए शहर का हर कोना सजाया जा रहा है. इस बार केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के अनुसार, अयोध्या में 2100 स्थानों पर दुर्गा पूजा के भव्य पंडाल स्थापित किए जाएंगे. वहीं 100 स्थलों पर रामलीला का भव्य मंचन होगा, जो रामचरितमानस की अमर गाथा को जीवंत करेगा.
सुरक्षा होगी पुख्ता
सिर्फ भक्ति ही नहीं, सुरक्षा के मोर्चे पर भी प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है. हर पंडाल में लगाए जाएंगे सीसीटीवी कैमरे. सादी वर्दी में पुलिसकर्मी महिला पुलिस बल तैनात रहेगा. शहर को सेक्टर और जोन में बांटकर मजिस्ट्रेट और सीओ स्तर के अधिकारी रखेंगे पैनी नज़र.
22 सितंबर से नवरात्र की शुरुआत होगी और 2 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन एवं रावण दहन के साथ यह महोत्सव अपने चरम पर पहुंचेगा.
क्या है नवरात्र?
नवरात्र हिंदू धर्म का अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे वर्ष में दो बार मनाया जाता है. साल 2025 में शारदीय नवरात्र 22 सितंबर (सोमवार) से आरंभ होकर 1 अक्टूबर (बुधवार) तक मनाए जाएंगे. यह पर्व नौ दिनों तक चलता है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. भक्तजन इस दौरान उपवास, भजन-कीर्तन और शक्ति की आराधना करते हैं.
नवरात्र की महिमा
नवरात्र की महिमा अत्यंत अद्भुत मानी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि इसी समय देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर अधर्म और अन्याय का अंत किया था. इसलिए यह पर्व असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है. आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्र साधना, आत्मशुद्धि और आत्मबल बढ़ाने का श्रेष्ठ अवसर है. इन दिनों व्रत-उपवास और नियम पालन से मन और शरीर दोनों पवित्र होते हैं. साथ ही यह पर्व नारी शक्ति के महत्व को दर्शाता है और हमें यह संदेश देता है कि शक्ति, भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलकर ही जीवन सफल हो सकता है.
-मयंक शुक्ला की रिपोर्ट