Ayodhya Ram Temple: राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण की भव्य तैयारी, क्या है धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व?

राम नगरी अयोध्या में मंदिर के शिखर पर 25 नवंबर को भव्य ध्वजारोहण होगा. इसके साथ ही मंदिर के निर्माण का काम पूरा हो जाएगा. किसी भी मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापित करना केवल एक विधि-विधान नहीं होता, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है. ध्वजारोहण मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता को दिखाता है.

Ayodhya Ram Temple (Photo/PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 17 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

25 नवंबर को राम की नगरी अयोध्या में भव्य ध्वजारोहण होने जा रहा है. भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा तो 22 जनवरी 2024 को हो चुकी है. लेकिन अब भव्य ध्वजारोहण होने जा रहा है. सनातन में मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने की परंपरा संस्कृति से जुड़ी हुई है. लेकिन अपना अलग महत्व भी होता है. आखिर मंदिर पर ध्वजा लहराने की परंपरा इतनी महत्वपूर्ण और जरूरी क्यों होती है? चलिए जानते हैं.

ध्वज स्थापना का आध्यात्मिक महत्व-
किसी भी मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापित करना केवल एक विधि-विधान नहीं होता, बल्कि इसका गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है. ध्वजारोहण मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता को दिखाता है. ये भक्तों की अटूट आस्था की विजय का प्रतीक माना जाता है. शास्त्रों में माना जाता है कि मंदिर का शिखर ही वह है, जहां से दैवीय ऊर्जा मंदिर में प्रवेश करती हैं. सनातन परंपरा में ध्वजारोहण को कई मायनों में बहुत ही पवित्र माना गया है. मान्यता तो ये भी है कि ध्वज एक तरह से ब्रह्मांडीय ऊर्जा और मंदिर के गर्भगृह के बीच एक संपर्क सूत्र का कार्य करता है.

मंदिर का ध्वज दूर से ही भक्तों को भगवान की उपस्थिति का संकेत देता है. धर्म ध्वज को मंदिर का रक्षक भी माना जाता है. मान्यता है कि ध्वज मंदिर और उसके आस-पास के क्षेत्र को सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियों और बाधाओं से सुरक्षित रखता है. जिससे वातावरण में हमेशा सकारात्मकता और शुभता बनी रहती है. इसलिए धर्म ध्वज को मंदिर का ‘रक्षक’ भी माना जाता है.

प्राचीन है शिखर पर ध्वज चढ़ाने की परंपरा-
सनातन में मंदिर के शिखर पर ध्वज चढ़ाने की परंपरा बहुत प्राचीन है. शास्त्रों में कहा गया है कि ध्वज देवता की महिमा और शक्ति का प्रतीक होता है. यह मंदिर की ऊंचाई के साथ-साथ श्रद्धा की ऊंचाई को भी दर्शाता है. जब किसी मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराया जाता है तो माना जाता है कि वहां दिव्य ऊर्जा का संचार होता है. गरुड़ पुराण में उल्लेख मिलता है कि मंदिर पर फहराया गया ध्वज भगवान की उपस्थिति को दर्शाता है और उससे आसपास का क्षेत्र पवित्र हो जाता है. और दिव्यता का एहसास कराता है. यही कारण है कि मंदिरों में ध्वज लगाने का कार्य बेहद शुभ माना जाता है.

25 नवंबर को पूरा मंदिर का निर्माण कार्य-
ध्वजारोहण किसी भी मंदिर के निर्माण कार्य की पूर्णता का अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण प्रतीक होता है. यह दर्शाता है कि अब मंदिर पूरी तरह से तैयार है और भक्तों के लिए दैवीय चेतना का केंद्र बन गया है. अयोध्या में भी 25 नवंबर को होनेवाला भव्य ध्वजारोहण राम मंदिर के ऐतिहासिक और दिव्य निर्माण के सफल समापन की घोषणा करेगा.

सदियों के संघर्ष और करोड़ों राम भक्तों की अटूट आस्था के बाद इस भव्य श्रीराम मंदिर का निर्माण हुआ है. ऐसे में शिखर पर लहराता हुआ भगवा ध्वज सत्य की विजय, धर्म की जय और राम भक्तों की भावनाओं के सम्मान का सबसे बड़ा प्रतीक होगा.

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