बेगूसराय में तिरुपति बालाजी मंदिर जैसी शक्ल में दुर्गा पंडाल, बनारस से पंडित कराते हैं गंगा आरती, तंत्र-मंत्र सिद्धि के लिए है विख्यात

बताया जा रहा है कि बंगाल से बुलाए गए कारीगरों ने लगभग डेढ़ माह की मेहनत से इस मंदिर पंडाल का निर्माण किया. दिन-रात मेहनत के बाद तैयार इस पंडाल पर करीब 20 से 22 लाख रुपए खर्च हुए. पंडाल की भव्यता और मंदिर जैसी नक्काशी देखकर लोग तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहे हैं.

पूजा पंडाल बना आकर्षण का केंद्र
gnttv.com
  • बेगूसराय,
  • 25 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:37 PM IST
  • हजारों श्रद्धालु होते हैं शामिल
  • बनारस से पंडित कराते हैं गंगा आरती

बेगूसराय के बखरी प्रखंड में इस साल दुर्गा पूजा का पंडाल खास अंदाज में सजाया गया है. पिछले साल जहां केदारनाथ धाम की शक्ल में पंडाल बनाया गया था, वहीं इस साल भव्य तिरुपति बालाजी मंदिर के रूप में पंडाल तैयार किया गया है, जो अभी से ही स्थानीय और दूर-दूर के श्रद्धालुओं का आकर्षण बन गया है.

भव्य पंडाल बनाने में खर्च हुए 22 लाख
बताया जा रहा है कि बंगाल से बुलाए गए कारीगरों ने लगभग डेढ़ माह की मेहनत से इस मंदिर पंडाल का निर्माण किया. दिन-रात मेहनत के बाद तैयार इस पंडाल पर करीब 20 से 22 लाख रुपए खर्च हुए. पंडाल की भव्यता और मंदिर जैसी नक्काशी देखकर लोग तारीफ किए बिना नहीं रह पा रहे हैं.

गंगा महा आरती की तर्ज पर मां दुर्गा की आरती
बखरी प्रखंड के महारानी दुर्गा स्थान में बनारस से बुलाए गए आधा दर्जन पंडितों के द्वारा रोजाना संध्या में गंगा महा आरती के तर्ज पर मां दुर्गा की आरती की जाती है. हजारों श्रद्धालु हर शाम इस आरती में शामिल होते हैं और भक्ति भाव से देवी की पूजा करते हैं.

700 सालों से होती है मां दुर्गा की पूजा
स्थानीय पूजा समिति के अनुसार, इस मंदिर में लगभग 700 सालों से मां दुर्गा की आराधना होती आ रही है. इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व बेहद गहरा है. कहा जाता है कि यहां तंत्र-मंत्र की सिद्धि भी होती है और न केवल बिहार, बल्कि नेपाल, बंगाल, झारखंड समेत कई राज्यों से लोग अष्टमी की रात यहां पहुंचते हैं और तंत्र साधना भी करते हैं.

यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है
स्थानीय लोगों की मान्यता है कि इस स्थान पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. भक्तगण मां दुर्गा के आशीर्वाद के लिए यहां विशेष रूप से आते हैं और पंडाल की भव्यता, आरती की भक्ति और धार्मिक माहौल का अनुभव करते हैं.

--सौरभ कुमार, बेगूसराय

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