इस समय सावन मास चल रहा है, इस पावन महीने में भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है. हर सोमवार को शिवालयों पर भक्तों की जमकर भीड़ उमड़ती है. हर किसी के मुख से हर हर महादेव निकलता है. वहीं इस श्रावण मास में हम आपको औरैया जिले के कुदरकोट में स्थित भगवान शंकर के मंदिर के बारे में बताते हैं, इस मंदिर को भयानक नाथ के नाम से जाना जाता है.
औरैया जिले के कुदरकोट गांव में स्थित यह मंदिर भगवान शंकर के भयानकनाथ रूप को समर्पित है. दुर्गम जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर श्रावण मास में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को आकर्षित करता है. यहां हर सोमवार को दूर-दूर से श्रद्धालु कांवड़ लेकर भगवान का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं.
इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि रुक्मिणी के पिता राजा भीष्मक ने लगभग 5000 वर्ष पहले कुंदनपुर (आज का कुदरकोट) में भगवान शिव की स्थापना भयानकनाथ रूप में करवाई थी. यह वही स्थान है जहां पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय बिताया और भगवान शिव की रुद्राभिषेक के साथ पूजा की थी.
जनश्रुति के अनुसार, माता रुक्मिणी श्रावण मास में इस मंदिर में पूजा अर्चना करती थीं. इसी कारण इस मंदिर को विशेष धार्मिक मान्यता प्राप्त है और श्रावण में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है.
साल 2018 में 15 अगस्त को इसी मंदिर परिसर में तीन साधुओं की हत्या कर दी गई थी. इस घटना के बाद मंदिर की सुरक्षा के लिए पीएसी की तैनाती की गई थी, जो अब हटा ली गई है. वर्तमान में कुदरकोट थाने की पुलिस निगरानी रख रही है.
मंदिर तक पहुंचने का रास्ता कैसा है?
मंदिर तक पहुंचने के लिए दो प्रमुख रास्ते हैं, एक कन्नौज होते हुए बेला-इटावा के रास्ते कुदरकोट पहुंचा जा सकता है. दूसरा रास्ता औरैया से दिबियापुर-बिधूना मार्ग के जरिए है. यह स्थान बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रास्ता हालांकि कच्चा और जंगलों से भरा है, लेकिन आस्था की डोर हर कठिनाई को आसान बना देती है.
श्रद्धालुओं का मंदिर को लेकर क्या अनुभव है?
भक्त बहादुर सिंह ने बताया कि वह हर साल कांवड़ लेकर आते हैं और यहां की पूजा से उन्हें हर बार मानसिक शांति मिलती है. पुजारी रामकुमार चौरसिया कहते हैं कि "भक्त जो भी सच्चे मन से मांगता है, भयानकनाथ उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं."
-सूर्या प्रकाश शर्मा की रिपोर्ट