नवरात्रि का आज दूसरा दिन है. आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सारी मुराद पूरी होती है. कामों में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. मां ब्रह्मचारिणी को तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम भी जाना जाता है. मां ब्रह्मचारिणी को सरल, सौम्य और शांत माना जाता है. वे अपने तप, त्याग, दृढ़ इच्छाशक्ति के लिए जानी जाती हैं. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप सफेद वस्त्र पहनती हैं. देवी के आशीर्वाद से हर तरह की परेशानियां खत्म होती हैं. चलिए आपको बताते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि क्या है.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि-
नवरात्रि का दूसरे दिन मां दुर्गी की दूसरी शक्ति मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है. इस दिन सुबह जल्दी स्नान करना चाहिए. माता तपस्या की देवी है और तपस्वी अधिकतर सफेद वस्त्र धारण करते हैं. इसलिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए पीले या सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए. हालांकि माता का प्रिय रंग लाल है. देवी ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री से बना भोग बहुत पसंद है. इसलिए दूसरे दिन मां को दूध, चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग जरूर से लगाएं. पूजा के दौरान मां ब्रह्मचारिणी को रोली, लौंग, अक्षत, कमल, इलायची, चंदन और अड़हुल का फूल अर्पित करना चाहिए. नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए इससे हर मनोकामना पूरी होती है. भक्तों को मां ब्रह्मचारिणी के लिए "ॐ ऐं नमः" मंत्र का जाप करना चाहिए.
माता की पूजा के फायदे-
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से भक्तों को तप, त्याग और सदाचार जैसे गुणों की प्राप्ति होती है. चलिए बताते हैं कि माता की सच्चे मन से पूजा से क्या-क्या मिलता है.
कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी-
मां ब्रह्मचारिणी के नाम अर्थ काफी खास होता है. ब्रह्मा का अर्थ तपस्या और चारणी का अर्थ आचरण है. इसका मतलब है कि मां ब्रह्मचारिणी तपस्या की देवी हैं. मान्यता के मुताबिक सती के आत्मदाह कर लेने के बाद पार्वती का जन्म हुआ. माता ने भगवान शंकर से शादी के लिए हजारों साल तक तपस्या की. उस दौरान उन्होंने ब्रह्मचर्य, तपस्या, त्याग और दृढ़ निश्चय वाली देवी थीं. उनका स्वरूप ही मां ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है. उनको तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा के नाम भी जाना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी सफेद वस्त्र धारण करती हैं. उनके दाहिने हाथ में एक जप माला होती है और बाएं हाथ में कमंडल होता है. वो विश्वसनीयता और ज्ञान का प्रतीक हैं. इसके साथ ही मां ब्रह्मचारिणी प्रेम का सार भी हैं.
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