छठ पूजा बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए सबसे बड़ा पर्व माना जाता है. इस साल छठ महापर्व 25 अक्टूबर 2025 से शुरू हो रहा है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें नहाय-खाय, खरना, डूबते सूर्य को अर्घ्य और उद्यापन शामिल हैं. छठ पूजा के दौरान 36 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है, जो सनातन धर्म के सबसे कठिन व्रतों में से एक है. इस पर्व में सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पवित्र नदी के बहते पानी का महत्व है.
छठ पूजा का ऐसा है कार्यक्रम
1. छठ पूजा 25 अक्टूबर 2025 को नहाय-खाय से शुरू होगी.
2. 26 अक्टूबर को खरना की पूजा होगी.
3. 27 अक्टूबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
4. 28 अक्टूबर को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ 48 घंटे के निर्जल व्रत का उद्यापन किया जाएगा.
दिल्ली के यमुना घाटों पर पहली बार स्वच्छता का उपहार
दिल्ली के यमुना घाटों पर इस बार छठ पूजा के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया गया है. पहले यमुना का पानी इतना दूषित था कि व्रतियों को उसमें खड़े रहना भी मुश्किल होता था, लेकिन इस बार कालिंदी कुंज समेत यमुना के तमाम घाटों पर सफाई अभियान के चलते पानी अपेक्षाकृत साफ नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और मंत्री कपिल मिश्रा ने खुद घाटों का दौरा कर सफाई अभियान का निरीक्षण किया.
सरकार की प्रतिबद्धता और व्रतियों का उत्साह
दिल्ली सरकार ने छठ पूजा के प्रदूषण रहित आयोजन के लिए हर संभव प्रयास किए हैं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने पहले ही निर्देश दिए थे कि यमुना के पानी को साफ किया जाए. इस बार व्रतियों को स्वच्छ पानी में आचमन और स्नान करने का अवसर मिलेगा. छठ पूजा समिति और पूर्वांचल समाज के लोग सरकार की इस पहल से काफी खुश हैं.
चुनावी वादों पर अमल
दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों की संख्या करीब 50 लाख है. छठ पूजा उनके लिए सबसे बड़ा त्योहार है. हर चुनाव में यमुना घाटों की सफाई एक बड़ा मुद्दा रहता है. हालांकि, पहले की सरकारें इस वादे को पूरा करने में विफल रही थीं, लेकिन इस बार भाजपा सरकार ने अपने वादे को निभाते हुए घाटों की सफाई सुनिश्चित की है. यमुना के साफ पानी को देखकर एक श्रद्धालु ने कहा कि पहली बार लग रहा है की सनातन की सरकार है इसलिए दिल्ली में बाहर है. सालों से छठ व्रतियों को जिन प्रदूषित घाटों पर पूजा करनी पड़ती थी, वहां इस साल भाजपा सरकार के प्रयासों से सुधार दिख रहा है.
(आशुतोष कुमार की रिपोर्ट)