हिंदू धर्म में हर त्योहार का विशेष महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी मनाते हैं. इस बार ये त्योहार 4 नवंबर यानी कल है. मान्यता है कि देवोत्थान एकादशी का उपवास रखने और विधिवत पूजन करने से सभी मनोकामनाएं सहजता से ही पूर्ण हो जाती हैं. लेकिन देवोत्थान एकादशी की पूजा एक विशेष विधि से की जाती है. देवउठनी एकादशी के दिन व्रत करने से पापों से मुक्ति पा सकते हैं. आइए जानते हैं क्या इस एकादशी की दिव्य पूजन विधि.
देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि
- गन्ने का मंडप बनाएं ,बीच में चौक बनाया जाता है
- चौक के मध्य में चाहें तो भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति रख सकते हैं
- चौक के साथ ही भगवान के चरण चिन्ह बनाये जाते हैं ,जिसको कि ढंक दिया जाता है
- भगवान को गन्ना,सिंघाडा,तथा फल-मिठाई समर्पित किया जाता है
- घी का एक दीपक जलाया जाता है जो कि रात भर जलता रहता है
- भोर में भगवान के चरणों की विधिवत पूजा की जाती है
- फिर चरणों को स्पर्श करके उनको जगाया जाता है
- इस समय शंख-घंटा-और कीर्तन की आवाज़ की जाती है
- इसके बाद व्रत-उपवास की कथा सुनी जाती है
- इसके बाद से सारे मंगल कार्य विधिवत शुरु किये जा सकते हैं
इस व्रत के शुभ प्रभाव से शादी में आ रही सारी रुकावटें दूर होने लगती हैं और शुभ विवाह का योग जल्दी ही बन जाता है. ये उपाय परमशुभकारी हैं. इसके अलावा ना चल रही हो या कुछ दिक्कतें आ रही हों तो भी आप ये उपाय कर सकते हैं. इन उपायों से आपके रिश्तों में मिठास आएगी और श्रीहरि की कृपा से आपकी शादीशुदा जिंदगी संवर जाएगी.
शीघ्र विवाह के महाउपाय
- लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें
- शालिग्राम को स्नान कराके उनको चन्दन लगाएं
- उनको पीले रंग के आसन पर बिठाएं
- फिर तुलसी को अपने हाथों से उनको समर्पित करें
- प्रार्थना करें कि आपका विवाह शीघ्र हो जाए
हर व्रत का कुछ ना कुछ नियम और पालन विधि होती है. इस दिन श्रीहरि का ध्यान करें और एकादशी व्रत के नियमों का पालन करना चाहिए. आज आपको बताएंगे व्रत के दौरान ध्यान रखने वाली बातें.
देवोत्थान एकादशी पर क्या ना करें
- देवोत्थान एकादशी के दिन गलती से भी तुलसी ना तोड़ें
-इस दिन मां तुलसी और श्रीहरि के शालिग्राम रूप का विवाह होता है
-देवी तुलसी को लाल चुनरी भी जरूर चढ़ाएं, तुलसी के नीचे दीया जलाएं
- इस दिन चावल का सेवन ना करें
देवोत्थान एकादशी के दिन अपने मन शांत रखें, घर में सुख-शंति का सद्भाव बनाए रखें
-किसी भी हालात में बुजुर्गों का अनादर ना करें