छत्तीसगढ़ में है कुत्ते का मंदिर, पूजा करने से नहीं काटता कुत्ता और न ही कुकुरखांसी होती है

गांव-देहात में संत-महात्माओं के नाम पर बने मंदिर तो आपने लगभग सभी जगह देखे होंगे. लेकिन क्या आपने खासतौर पर किसी जानवर को समर्पित मंदिर देखा है? शायद कभी नहीं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक अनोखे या यूँ कहे कि अजीबोगरीब मंदिर के बारे में. छत्तीसगढ़ के बालोद में स्थित इस मंदिर में कुत्ते की पूजा होती है. इस मंदिर को कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है.

Dog Temple (Credits: Indian Rituals/YouTube)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 01 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:00 PM IST
  • छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में स्थित हैं कुत्ते के मंदिर
  • दूर-दूर से आते हैं लोग पूजा करने

गांव-देहात में संत-महात्माओं के नाम पर बने मंदिर तो आपने लगभग सभी जगह देखे होंगे. लेकिन क्या आपने खासतौर पर किसी जानवर को समर्पित मंदिर देखा है? शायद कभी नहीं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक अनोखे या यूँ कहे कि अजीबोगरीब मंदिर के बारे में. 

छत्तीसगढ़ के बालोद में स्थित इस मंदिर में कुत्ते की पूजा होती है. इस मंदिर को कुकुरदेव मंदिर के नाम से जाना जाता है. और दूर-दूर से लोग यहां पूजा करने के लिए आते हैं. इस मंदिर की मान्यता के बारे में सुनकर आपको और ज्यादा हैरानी होगी.

कुत्ता अगर काट ले तो यहां करें पूजा: 

कुत्ते के काटने से रेबीज नामक बीमारी होने की संभावना होती है. कहते हैं कि कुत्ता अगर काट ले तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. और कुत्ते के जहर से बचाने के लिए 14 इंजेक्शन लगाए जाते हैं. 

लेकिन इस मंदिर की मान्यता है कि अगर आपको कभी कुत्ता काट ले तो इस मंदिर में पूजा करने से कुत्ते का काटा हुआ एकदम ठीक हो जाता है. और जहर भी नहीं चढ़ता है. साथ ही, यहां पूजा करने वालों को कभी कुकुरखांसी भी नहीं होती है और कभी कुत्ता नहीं काटता है. इसलिए लोग यहां पूजा करने आते हैं. पूरे विधि-विधान से मंदिर में गर्भगृह में स्थापित कुत्ते की प्रतिमा की पूजा की जाती है. 

अब इसे अंधविश्वास कहें या परंपरा, लेकिन छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भी लोग इस मंदिर में आते हैं. 

कैसे हुआ मंदिर का निर्माण: 

इस मंदिर के निर्माण की कहानी भी बहुत ही दिलचस्प है. कहते हैं कि बहुत पहले इस इलाके में एक बंजारा अपने परिवार के साथ रहने आया था. और उसके साथ उसका एक वफादार कुत्ता भी था. लेकिन गांव में एक बार अकाल पड़ गया और बंजारे को घर चलाने के लिए एक साहूकार से कर्ज लेना पड़ा. 

कर्ज लेने के लिए बंजारे ने अपने पालतू कुत्ते को साहूकार के पास गिरवी रख दिया. एक दिन साहूकार के घर में चोरी हुई और चोरों ने सारा माल ले जाकर एक जगह जमीन में गाड़ दिया ताकि बाद में वे निकाल सकें. लेकिन उस कुत्ते को माल का पता चल गया. 

वह तुरंत साहूकार के पास पहुंचा और उसे उसी जगह ले आया, जहां उसका माल चोरों ने गाड़ा था. साहूकार ने खुदाई की तो उसे उसकी संपत्ति मिल गई. उसने खुश होकर कुत्ते को आजाद कर दिया और उसके गले में बंजारे के लिए एक चिट्ठी बांध दी. 

लेकिन जब कुत्ता बंजारे के पास पहुंचा तो उसे लगा कि कुत्ता भाग आया है. उसने गुस्से में आकर कुत्ते की गर्दन काट दी. लेकिन जब उसने चिट्ठी पढ़ी तो उसे बहुत पछतावा हुआ. उसने अपने खेतों में कुत्ते को दफनाया और उसकी याद में स्मारक बना दिया. यही स्मारक आज मंदिर के रूप में तब्दील हो गया है.    

कर्नाटक में भी है कुत्ते का एक मंदिर: 

सिर्फ छत्तीसगढ़ नहीं बल्कि कर्नाटक में भी कुत्ते का एक मंदिर स्थित है. चन्नपटण जिले के रामनगर में स्थित कुत्ते का मंदिर काफी मशहूर है. इसका निर्माण एक व्यवसायी ने करवाया है. इसी व्यवसायी ने केमपम्मा देवी का मंदिर भी बनवाया था. 

केमपम्मा इस गांव की कुलदेवी हैं. बताया जाता है कि गांववालों को केमपम्मा देवी से ही प्रेरणा मिली कि वे उनके मंदिर की रखवाली करने वाले दो कुत्तों को खोजकर लाएं. लेकिन गांववालों को वे कुत्ते नहीं मिले. इसलिए ग्रामीणों ने सहमति से एक और मंदिर बनाया, जिसमें दो कुत्तों की प्रतिमा लगाई गई हैं. 

गांव के लोगों के अलावा बाहर से भी लोग इस मंदिर को देखने के लिए जाते हैं. और इंसानों के प्रति कुत्तों की वफ़ादारी के लिए उनका आभार प्रकट करते हैं.     

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