Geeta Jayanti 2025: शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन क्यों मनाई जाती है गीता जयंती? कैसे करना चाहिए गीता का पाठ

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. आज मोक्षदा एकादशी का भी शुभ संयोग है. इस दिन देशभर में कई जगहों पर कार्यक्रम आयोजित हुए हैं. गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं.

Geeta Jayanti 2025
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 4:38 PM IST

आज पूरे देश में गीता जयंती मनाई जा रही है. मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी आज ही के दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. आज मोक्षदा एकादशी का भी शुभ संयोग है. शाम 7 बजकर 1 मिनट तक एकदशी रहेगी. गीता जयंती पर देशभर में कार्यक्रम हुए हैं. कुरुक्षेत्र में 21 हजार छात्रों ने गीता पाठ किया. इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और योगगुरु रामदेव जैसी हस्तियां शामिल हुईं. वहीं, उज्जैन में कृष्ण भक्तों का भारी उत्साह दिखाई दिया, यहां भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. वहीं, रामनगरी अयोध्या में भी कृष्ण जयंती का अपार उत्साह देखने को मिल रहा है.

18 अध्याय और 700 श्लोक-
श्रीमदभगवतगीता स्वयं श्रीकृष्ण के मुख से निकली वो ज्ञानगंगा है, जिसने संसार को जीने की राह सिखाई. कर्मयोगी का दिखाया वो पथ जो साधक को भवसागर से पार कराता है. माना जाता है कि सभी उपनिषदों का सार है गीता. मान्यता है कि गीता के किसी भी अध्याय का पाठ करने से भगवान सच्चिदानंद की कृपा बरसती है, मुक्ति और मोक्ष का द्वार खुल जाता है. 18 अध्याय और 700 श्लोकों वाले इस धर्मग्रंथ में जीवन को महान बनाने का हर सूत्र मौजूद है. जिसे आत्मसात कर मनुष्य तमाम बाधाओं को पारकर लक्ष्य पाने की कला सीख जाता है.

शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन गीता जयंती-
मान्यता है कि मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान मिला था. इसीलिए हर साल इसी तिथि पर गीता जयंती मनाने का विधान है. गीता जयंती के दिन गीता को पढ़ना-सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है. गीता के उपदेशों को आत्मसात करने से जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है. सनातन संस्कृति में भगवत गीता के पूजन कुछ नियम भी बताए गए हैं.

कैसे करें गीता पाठ?
गीता पाठ से पहले स्नान कर पूजा घर को साफ करें. एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं. इस पर भगवान कृष्ण की स्थापना करें. लाल या पीले कपड़े में लिपटी हुई गीता की नई प्रति स्थापित करें. पीले फल, पुष्प, धूप-दीप, दूर्वा अर्पित करें. फल, मिष्ठान्न और पंचामृत अर्पित करें. इसके बाद श्री कृष्ण के मन्त्रों का जाप करें. 'ऊं गंगे' मंत्र का उच्चारण कर आचमन करें. अंत में पूजा संपन्न करने के लिए आरती अर्चना करें.

इसके बाद गीता का सम्पूर्ण पाठ या सिर्फ अध्याय 11 का पाठ करें. पाठ के बाद गीता जी की आरती पढ़ें और इसके बाद अपनी कामनापूर्ति की प्रार्थना करें. गीता जयंती के अवसर पर दान का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि गीता जयंती के दिन शंख का पूजन अवश्य करना चाहिए. शंख की पवित्र ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं. पंचांग के अनुसार गीता जयंती के दिन ही मोक्षदा एकादशी भी मनाई जा रही है.

मोक्ष की होती है प्राप्ति-
मोक्षदा एकादशी का महत्व मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है. इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था. इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए दान का कई गुना फल मिलता है. 

मोक्षदा एकादशी के दिन दान, पितृ तर्पण हवन, यज्ञ, का बहुत ही महत्व है. मान्यता है कि ये दान सीधे पूर्वजों तक पहुंचता है और पितरों की आत्मा तृप्त होती है.

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