दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर की महिमा अपरंपार है. इस मंदिर में संत तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना की थी. मंदिर में 24 घंटे राम नाम का जाप होता है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें.
महाभारत कालीन है यह मंदिर
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित हनुमान मंदिर का इतिहास पांडवों के समय से जुड़ा हुआ है. इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था. मान्यता है कि इंद्रप्रस्थ में पांडवों के साथ भगवान कृष्ण ने भी यहां रूद्रावतार भगवान महावीर की अराधना की थी. इस मंदिर को राजा जयसिंह ने आधुनिक युग में बनवाया था.
तुलसीदास ने चमत्कार दिखाने से कर दिया था मना
मान्यता है कि संत तुलसीदास ने इसी मंदिर में हनुमान चालीसा की रचना की थी. यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि हनुमान जी उनकी सभी समस्याओं का समाधान करते हैं. कहते हैं कि एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा कि हमारे राज्य में कोई ऐसा इंसान है जो चमत्कारी हो? बीरबल ने तुलसीदास का नाम लिया और उन्हें दरबार में बुलाया गया. तुलसीदास ने चमत्कार दिखाने से मना कर दिया. इसके बाद अकबर ने उन्हें कैद कर लिया. इसके बाद अकबर बीमार रहने लगे. फिर बीरबल की सलाह पर अकबर ने तुलसीदास को रिहा कर दिया. अंग्रेज इंजीनियर ने इस हनुमान मंदिर को हटाने की कोशिश की, लेकिन हनुमान जी की कृपा से उसे माफी मांगनी पड़ी और सड़क को मंदिर से दूर निकालना पड़ा.
मंदिर की विशेषताएं
मंदिर में हनुमान जी का दक्षिण मुखी बाल स्वरूप है. यहां 1964 से राम नाम का जाप हो रहा है, जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. मंगलवार और शनिवार को मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यहां आने वाले भक्तों का विश्वास है कि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस मंदिर में साल भर विभिन्न पर्वों पर विशेष आयोजन होते हैं. दीपावली, हनुमान जयंती, जन्माष्टमी और शिवरात्रि के अवसर पर मंदिर का शृंगार दुल्हन की तरह होता है.
नंदी की प्रतिमा
मंदिर प्रांगण में शिव के कंद यानी नंदी की प्रतिमा है. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी फरियाद नंदी के कानों में कहता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मंदिर में हनुमान जी का चूल्हा स्वतः जलता है. यह चमत्कार दुनिया के किसी अन्य मंदिर में देखने को नहीं मिलता. मंदिर का मुख्य द्वार रामायण की कलाओं से सुसज्जित है और स्तंभों पर सुंदरकांड की चौपाइयां खुदी हुई हैं.