सावन में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन करने से विशेष पुण्य मिलता है. शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया है. कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजा की नींव रखी थी. कई लोग पार्थिव शिवलिंग बनाने का सही तरीका नहीं जानते हैं और अक्सर गलती कर देते हैं. आज हम आपको बता रहे हैं कि सावन में पुजा के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाने की सही विधि क्या है?
शिव महा पुराण में पार्थिव पूजा का विशेष महत्व है. इस पुजा को करने से धन्य, धान्य और संतान प्राप्ति की कामना पुरी होती है. इस पुजा को करने से मानसिक और शारीरिक बीमारियां से भी छुटकारा मिलता है. जब राजा दक्ष के श्राप के कारण चंद्रमा को कोढ़ की बीमारी हो गई थी तब चंद्रमा ने भी सावन मास में पार्थिव शिवलिंग की पुजा कर रोग से छुटकारा पाया था.
हालांकि, पुराणों में पार्थिव शिवलिंग के पूजा का महत्व तो बहुत है पर कई लोग सही तरीका नहीं जानते लिंग को बनाने का. कुछ लोग तो कहीं की भी मिट्टी का इस्तेमाल कर लेते हैं पर असल में नदी-तालाब की शुद्ध और साफ मिट्टी से ही पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए.
पार्थिव शिवलिंग को बनाने का सही तरीका लिंग पुराण में मिलता है. अगर इस नियम से सावन शिवलिंग बनाएंगे तो हर मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. पर करना क्या है?
सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है. पार्थिव पूजा में नियम और मन की शुद्धता से पालन करना जरूरी है वरना इससे परिवार या स्वयं पर दूष्प्रभाव भी हो सकते हैं.
(डिस्कलेमर: यह आर्टिकल इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री और जानकारी के आधार पर लिखा गया है. संपूर्ण जानकारी के लिए किसी पंडित या शास्त्री से संपर्क करें)