Unique Kanwar Yatra: अनोखी पति-पत्नी की जोड़ी! नहीं उठा पाया इस साल कांवड़... भोले की शक्ति से कमर पर उठा पत्नी चली 150 किलोमीटर की यात्रा पर

एक ऐसा शिव भक्त जो पिछले कई सालों से कांवड़ यात्रा में भाग ले रहा था. लेकिन बीमारी के कारण इस साल भाग नहीं ले सका. तो पत्नी ने किया ऐसा काम, कि पीठ पर उसे उठाकर चल पड़ी यात्रा पर.

पति को पीठ पर बिठा ले जाती पत्नी
gnttv.com
  • मुजफ्फरनगर,
  • 19 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 10:18 AM IST

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कावड़ यात्रा के दौरान मन को भावुक करने वाली तस्वीर सामने आई है. जिसे देखकर हर कोई कह रहा हैं 'बीवी हो तो ऐसी'. इनके लिए कोई हाथ जोड़ता है, तो कोई इनके लिए ताली बजाता है, इनकी अलग-अलग अंदाज में हौसला अफजाई की जा रही है.

क्यों हो रही तारीफ
दरसअल एक पत्नी अपने दिव्यांग पति को अपने पीठ पर बैठकर तकरीबन 150 किलोमीटर की पैदल कावड़ यात्रा कर रही है. यह बात आज के समाज मे उन पत्नियों को आइना दिखाने के लिए काफी है, जो पतियों के साथ हुई हिंसक घटनाओं को अंजाम दे चुकी हैं.

समाज का दूसरा आईना
जहां एक तरफ लगातार पत्नियों के द्वारा की गई खौफनाक तस्वीर समाज के सामने आ रही है. तो वही इनकी मिसाल समाज को दूसरा आईना दिखाने का काम कर रही है. यह पत्नी अपने पति के स्वास्थ्य की मनोकामना को लेकर कावड़ यात्रा कर रही है. यह पत्नी अपने पति को हरिद्वार से गंगाजल लेकर अपनी पीठ पर बैठाकर मोदीनगर तक कि अपनी कावड़ यात्रा अपने दो बच्चों के साथ कर रही है.

आखिर क्यों करना पड़ा ऐसा
इस शिवभक्त महिला आशा का पति सचिन 13 साल तक हर वर्ष कावड़ पैदल यात्रा करता रहा है. मगर पिछले साल रीड की हड्डी के ऑपरेशन के दौरान सचिन को पैरालाइसिस हो गया. जिस वजह से अब सचिन अपने पैरों पर नहीं चल पाता. मगर जब कावड़ यात्रा आई तो पत्नी को मन में सूझा कि इस बार पति विवश है तो उन्होंने अपने पति के साथ हरिद्वार स्नान करने की ठानी.  हरिद्वार में जब हर की पैड़ी से गंगाजल उठाया तो पत्नी ने अपने पति को कहा कि इस बार मैं अपनी पीठ पर बैठाकर आपको कावड़ यात्रा पूरी कराउंगी.

क्या कहना है आशा का

सचिन की पत्नी आशा


आशा का कहना है कि पति की सेवा में ही मेवा है बाकी कुछ नहीं है. आशा ने यह भी बताया कि रास्ते में जो भी शिव भक्त कांवड़िये मिल रहे हैं वह उनकी खूब सराहना करते हुए कहते हैं कि क्या नसीब है जो ऐसी पत्नी पाई है. कोई ताली बजाता है, तो कोई हाथ जोड़कर उनकी सराहना करता है.

क्या है सचिन की कहानी

भोले का भक्त सचिन


सचिन घर में अकेला कमाने वाला था, जो की रंगाई पुताई का काम करता था. लेकिन बीमारी के बाद अब घर में कोई कमाने वाला नहीं है. इस परिवार में पति, पत्नी और दो बेटे हैं. जिस पर आशा ने बताया कि घर में कई दिन तक सब्जी नहीं बनती तो रुकी सुखी बनाकर खा लेते हैं. सचिन जब बीमार हुआ तो उसका इलाज आयुष्मान कार्ड से हुआ जिस पर आशा ने कहा कि अगर आयुष्मान कार्ड ना होता तो आज सचिन उसका पति भी जिंदा न होता.

-संदीप सैनी की रिपोर्ट

 

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