Khajrana Ganesh Temple: रानी अहिल्याबाई होल्कर ने कराया था खजराना गणेश मंदिर का निर्माण, लगेगा सवा लाख मोदक का भोग

इस वर्ष मंदिर के अन्नक्षेत्र में सवा लाख मोदक बनाए जा रहे हैं, जिन्हें पहले गणपति बप्पा को अर्पित किया जाएगा और फिर श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा.

Khajrana Ganesh Temple
gnttv.com
  • इंदौर,
  • 27 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 12:57 PM IST

इंदौर शहर के आस्था और विश्वास का प्रतीक खजराना गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी महापर्व की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. इस वर्ष मंदिर में भक्तों के लिए कई नई व्यवस्थाएं की गई हैं. सबसे बड़ी सौगात मंदिर परिसर में बना स्थाई ट्रांसपेरेंट शेड है, जिससे बारिश और गर्मी के मौसम में आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन और आरती के दौरान राहत मिलेगी.

सवा लाख मोदक का भोग और प्रसाद वितरण
इस वर्ष मंदिर के अन्नक्षेत्र में सवा लाख मोदक बनाए जा रहे हैं, जिन्हें पहले गणपति बप्पा को अर्पित किया जाएगा और फिर श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा. मंदिर समिति के अनुसार, इस बार का मोदक प्रसाद भक्तों के लिए अद्भुत अनुभव रहेगा.

दस दिवसीय भव्य आयोजन
गणेश चतुर्थी से शुरू होकर दस दिनों तक मंदिर परिसर में भक्ति, उल्लास और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संगम देखने को मिलेगा.

  • प्रवचन हॉल में गणेश लीला का मंचन
  • तीन भजन संध्याओं का आयोजन
  • इंटर-स्कूल धार्मिक नृत्य एवं नाट्य प्रतियोगिता
  • अन्नक्षेत्र दाताओं का सम्मान समारोह

समापन पर अनंत चतुर्दशी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो पूरे शहर को भक्तिमय माहौल से भर देगी.

श्रृंगार की परंपरा और विशेष आकर्षण
मंदिर की परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी भट्ट परिवार द्वारा दस दिनों तक भगवान गणेश का आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा. प्रतिदिन बप्पा को अलग-अलग रूपों में सजाया जाएगा. मोदक सहित अन्य विशेष प्रसाद का वितरण होगा.

सुरक्षा और यातायात की कड़ी व्यवस्था
गणेश चतुर्थी पर हर साल की तरह इस वर्ष भी लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है. भीड़ को ध्यान में रखते हुए नगर निगम और पुलिस प्रशासन ने संयुक्त रूप से सुरक्षा और यातायात की विशेष योजना तैयार की है, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो.

खजराना गणेश मंदिर का इतिहास
खजराना गणेश मंदिर का निर्माण रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1735 में करवाया था. कहा जाता है कि औरंगजेब से गणेश प्रतिमा की रक्षा के लिए इसे पहले एक कुएं में छिपा दिया गया था, जिसे बाद में बाहर निकालकर मंदिर की स्थापना की गई.

मंदिर का प्रबंधन भट्ट परिवार द्वारा किया जाता है, जबकि प्रशासनिक नियंत्रण सरकार के पास है. मंदिर की भव्यता और आकर्षण में चांदी का गर्भगृह, हीरे की आंखों वाली गणेश प्रतिमा, और रत्नों की सजावट शामिल है.

(धर्मेंद्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट)

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