नवरात्र के पावन पर्व को लेकर राजधानी जयपुर सहित पूरे राजस्थान में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. इस बार खास आकर्षण जयपुर के पंडालों में सजीव होने वाली मां दुर्गा की 22 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा होगी, जिसे पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के प्रसिद्ध कारीगर सनातन पाल और गौतम पाल तैयार कर रहे हैं.
गंगा की माटी से बनी इको-फ्रेंडली प्रतिमा
इस विशेष प्रतिमा के लिए गंगा की पवित्र मिट्टी पश्चिम बंगाल के सोनागाछी से मंगाई गई है. मूर्ति को पूरी तरह इको-फ्रेंडली बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों और बिना रसायन वाले रंगों का उपयोग किया जा रहा है. इससे विसर्जन के समय पर्यावरण को किसी भी तरह की हानि नहीं पहुंचेगी.
"सिन्दूरी थीम" बनेगी आकर्षण का केंद्र
आमतौर पर मां दुर्गा को लाल और सफेद साड़ी पहनाई जाती है, लेकिन इस बार “ऑपरेशन सिन्दूर” की थीम पर मां दुर्गा को सिन्दूरी साड़ी में सजाया जाएगा. कारीगरों का मानना है कि यह नई थीम पंडालों की भव्यता और मां की आभा को और भी बढ़ाएगी.
जयपुर में मूर्तियों की बढ़ी मांग
जयपुर की गलियों और कारीगरों की बस्तियों में इस समय रौनक देखते ही बनती है. मूर्तिकार दिन-रात मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों को गढ़ने में लगे हुए हैं. इस साल मूर्तियों की मांग पिछले सालों की तुलना में कहीं ज्यादा है, खासतौर पर 5 से 12 फीट ऊंची मूर्तियों की. मूर्तियों की कीमतें आकार और सजावट के आधार पर 5 हज़ार रुपये से लेकर लाखों रुपये तक जा रही हैं.
आस्था, कला और पर्यावरण का संगम
कारीगरों का कहना है कि मूर्तियां बनाना उनके लिए केवल रोज़गार का साधन नहीं बल्कि मां दुर्गा के प्रति भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है. श्रद्धालु जब प्रतिमाओं की भव्यता की सराहना करते हैं, तो उनकी सारी मेहनत सफल हो जाती है.
इस बार नवरात्र में जयपुर के पंडाल सिन्दूरी थीम से रोशन होंगे. गंगा की मिट्टी से बनी 22 फीट ऊंची प्रतिमा, प्राकृतिक रंगों से सजी मां दुर्गा की अलौकिक छवि और पर्यावरण संरक्षण का संदेश- यह सब मिलकर श्रद्धालुओं के लिए नवरात्र को एक यादगार और अद्वितीय अनुभव बनाने जा रहा है.
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