Jyeshtha Month 2025: 13 मई से 11 जून तक रहेगा ज्येष्ठ, जानिए इस महीने की महिमा, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिंदू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महिना है. इस साल ज्येष्ठ माह की शुरुआत 13 मई से हो रही है और इसका समापन 11 जून 2025 को होगा. आइए ज्येष्ठ महीने की महिमा के बारे में जानते हैं.

Jyeshtha Month 2025
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:07 AM IST
  • ज्येष्ठ महीने में सूर्यदेव की करें आराधना
  • हर कष्ठों से मिलेगी मुक्ति 

हिंदू पंचांग के मुताबिक चैत्र और वैशाख के बाद आने ज्येष्ठ मास का आरंभ 13 मई से हो रहा है, जो 11 जून 2025 तक रहेगा. ज्येष्ठ माह की महिमा, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व के बारे में शैलेंद्र पांडे ने विस्तार से बताया है. ज्येष्ठ के महीने को आम बोलचाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है. हिंदू कैलेंडर में ज्येष्ठ का महीना तीसरा महीना है. 

सूर्यदेव होते हैं अत्यंत ताकतवर
ज्येष्ठ महीने में सूर्यदेव अत्यंत ताकतवर होते हैं. इस महीने गर्मी भयंकर होती है. ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा को ज्येष्ठ नक्षत्र होने की वजह से इस महीने को ज्येष्ठ कहा जाता है. ज्येष्ठ नक्षत्र से इस महीने का संबंध माना जाता है. ज्येष्ठ के महीने में धर्म का संबंध जल से जोड़ा गया है ताकि जल का संरक्षण किया जा सके. जल को बचाया जा सके. ज्येष्ठ के महीने में सूर्य देव और वरुण देव की उपासना विशेष फलदायी होती है. सूर्य भगवान और वरुण देवता की पूजा ज्येष्ठ के महीने में की जाती है. 

ज्येष्ठ के महीने में जल का करें सही इस्तेमाल
 ज्येष्ठ के महीने में वातावरण में और शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है इसीलिए ज्येष्ठ के महीने में जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. ज्येष्ठ के महीने में धूप तेज होती है इसीलिए लोगों को सन स्ट्रोक हो सकता है या खानपान की बीमारियां परेशान कर सकती हैं. ज्येष्ठ के महीने में सन स्ट्रोक से और खानपान की बीमारियों से बचाव करना चाहिए. ज्येष्ठ के महीने में हरी सब्जियों का सत्तू का जल वाले फलों का प्रयोग करना लाभदायक होता है. ज्येष्ठ के महीने में कहा जाता है कि दोपहर भोजन के बाद थोड़े समय तक विश्राम करना चाहिए. ज्येष्ठ के महीने में थोड़ा विश्राम करना, पानी का ज्यादा प्रयोग करना और धूप से बचना ये बेहद आवश्यक होता है. 

प्यासों को पिलाइए पानी 
ज्येष्ठ के महीने में जल का महत्त्व सबसे ज्यादा होता है इसीलिए ज्येष्ठ के महीने में जल देवता की यानी वरुण देवता की और सूर्य देव की पूजा की जाती है. इस महीने सुबह और शाम को भी पौधों में जल डालिए. प्यासों को पानी पिलाइए. लोगों को जल पिलाने की व्यवस्था करिए. जगह जगह प्याऊ लगवा दीजिए या मटके में पानी भर के रखवा दीजिए. जल की बर्बादी न करें. शास्त्रों में ज्येष्ठ मास में जल का संरक्षण करने पर विशेष महत्व दिया गया है. इस महीने में जल का सही और पर्याप्त उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

सूर्य देव की करें आराधना 
सूर्य मंत्र का जप ओम आदित्य नमः या ओम गृडीहि सूर्य नमः का करें. अगर सूर्य आपकी कुंडली में बेहतर फल नहीं दे रहे हैं तो ज्येष्ठ के महीने में हर रविवार को उपवास रखिए. ज्येष्ठ के महीने में सूर्य देव की उपासना करना, पौधों में जल डालना, लोगों को पानी पिलाना, यह कार्य बड़े पुण्य का है. यह कार्य करने से आपको निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा. वृक्षों में खासतौर से पीपल के वृक्ष में अगर रोज़ सुबह सूर्योदय के पहले आप ज्येष्ठ के महीने में जल अर्पित करने लगे तो इससे आपकी आर्थिक समस्या दूर होगी और स्वास्थ्य में अगर कोई बड़ी समस्या चली आ रही है तो वो समस्या समाप्त होगी. ज्येष्ठ के महीने में आप कोई पूजा करें या न करें लेकिन लोगों को जल पिलाएं. ये बहुत पुण्य का काम है. वृक्षों में जल डालें और साथ ही साथ जल का संरक्षण करें. 

ज्येष्ठ मास का वैज्ञानिक महत्व 
इस माह में वातावरण और शरीर में जल का स्तर गिरने लगता है. अतः जल का सही और पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए. सन स्ट्रोक और खान पान की बीमारियों से बचाव आवश्यक है. इस माह में हरी सब्जियां, सत्तू, जल वाले फलों का प्रयोग लाभदायक होता है. इस महीने में दोपहर का विश्राम करना भी लाभदायक होता है. ज्येष्ठ महीने में गंगा या पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्यकारी माना जाता है. इससे पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है.

ज्येष्ठ के मंगलवार की महिमा 
ज्येष्ठ के मंगलवार को हनुमान जी की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन हनुमान जी को तुलसी दल की माला अर्पित की जाती है. साथ ही हलवा पूरी या मीठी चीज़ों का भोग भी लगाया जाता है. इसके बाद उनकी स्तुति करें. निर्धनों में हलवा पूरी और जल का वितरण करें. ऐसा करने से मंगल संबंधी हर समस्या का निदान हो जाएगा.

 

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