Unique Kanwars: 311 फीट की अनोखी कांवड़ से लेकर वृक्ष कांवड़ तक... सावन में एक से एक कांवड़ की धूम

सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से गंगाजल लेकर भक्तों ने 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर में जलाभिषेक किया.

Unique Kanwar Yatra in Jhansi
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 28 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

सावन के पवित्र महीने में पूरे देश में शिवभक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला. शिवभक्तों ने कांवड़ यात्राओं के माध्यम से न केवल अपनी आस्था प्रकट की, बल्कि इस बार कई यात्राओं ने पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का संदेश भी दिया.

देवघर: बाबा वैद्यनाथ धाम में श्रद्धालुओं का सैलाब
झारखंड के देवघर स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम में शिवरात्रि के बाद भी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही. सुल्तानगंज की उत्तरवाहिनी गंगा से गंगाजल लेकर भक्तों ने 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर देवघर में जलाभिषेक किया. इस यात्रा में शिवाजी और बजरंगबली की मूर्तियों से सजी कांवड़ें लोगों के आकर्षण का केंद्र रहीं.

राजस्थान: धौलपुर में वृक्ष कांवड़ यात्रा ने दिया पर्यावरण संदेश
राजस्थान के धौलपुर जिले में एक विशेष और अनोखी वृक्ष कांवड़ यात्रा निकाली गई. मुख्यमंत्री की अपील पर 5000 लोगों ने भाग लिया. गंगाजल की जगह पौधे कांवड़ में रखे गए. करीब 10,000 पौधों के साथ यह यात्रा निकाली गई. आयोजकों ने कहा, “हमने श्रद्धा को पर्यावरण और स्वच्छता से जोड़ने का प्रयास किया.”

झांसी में भी वृक्ष कांवड़ यात्रा रही खास
उत्तर प्रदेश के झांसी में भी वृक्ष कांवड़ यात्रा का आयोजन हुआ, जिसमें शिवभक्तों ने पौधों के साथ कांवड़ उठाई. यात्रा में तेज भक्ति संगीत पर झूमते श्रद्धालु शामिल हुए. लोग धरती माता, जल देवी और वृक्ष देवता के रूप में सजे हुए थे. इस यात्रा ने प्लास्टिक मुक्त भारत और पर्यावरण रक्षा का संदेश दिया.

मुजफ्फरपुर: 311 फीट लंबी भव्य कांवड़ यात्रा
बिहार के मुजफ्फरपुर में 311 फीट लंबी भव्य कांवड़ यात्रा निकाली गई. 60 कांवड़ियों की टोली ने 501 लीटर गंगाजल लेकर बाबा गरीबनाथ धाम में जलाभिषेक किया. इस भव्य कांवड़ को बनाने में ₹2 लाख का खर्च और 10 कारीगरों ने 8 दिन मेहनत की. यह यात्रा 2019 से लगातार आयोजित की जा रही है. इस बार भी हाजीपुर-मुजफ्फरपुर मार्ग पर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली.

धार्मिक आस्था के साथ सामाजिक संदेश
इस साल सावन की कांवड़ यात्राएं सिर्फ धार्मिक श्रद्धा तक सीमित नहीं रहीं. इन यात्राओं ने पर्यावरण जागरूकता, स्वच्छता, और समाजहित के संदेश को भी फैलाया. श्रद्धालुओं ने दिखाया कि भक्ति के साथ जिम्मेदारी का भाव भी जरूरी है.

सावन में देशभर की कांवड़ यात्राएं धार्मिक आस्था और सामाजिक सरोकार का अद्भुत संगम बनीं. यह एक उदाहरण है कि आस्था को जागरूकता से कैसे जोड़ा जा सकता है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके.

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