हरियाणा के करनाल जिले के कोट माहौल गांव में स्थित श्री गोवर्धन नाथ जी का प्राचीन मंदिर, जिसे हवेली शीश महल के नाम से भी जाना जाता है, धार्मिक आस्था और परंपरा का एक महत्वपूर्ण केंद्र है. यह मंदिर पिछले 60 सालों से ज्यादा समय से श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है.
यहां हर साल गर्मियों में ठाकुर जी को विशेष रूप से 500 किलो आम और आम रस का भोग अर्पित किया जाता है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में आकर ठाकुर जी के दर्शन करते हैं, भजन-पाठ में भाग लेते हैं और इस विशेष आयोजन का हिस्सा बनते हैं.
आम को फलों का राजा कहा जाता है और यह सभी का पसंदीदा फल है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रीकृष्ण यानी ठाकुर जी को भी आम अत्यंत प्रिय थे. वे अपने मित्रों के साथ बागों में जाकर आम का आनंद लिया करते थे. इसलिए गर्मियों में ठाकुर जी को मीठे आम और आम रस से बना विशेष भोग अर्पित किया जाता है. साथ ही, एक परंपरा यह भी है कि गर्मी के मौसम की शुरुआत में ठाकुर जी को नाव में विराजमान कर पूरे परिसर में घुमाया जाता है.
मंदिर के पुजारी पंडित धर्मेंद्र ने बताया कि यह मंदिर श्री गोवर्धन नाथ जी को समर्पित है और इस समय आम का मौसम होने के कारण हर साल आम का भोग नियमित रूप से चढ़ाया जाता है. उन्होंने बताया कि आज विशेष रूप से ठाकुर जी को 500 किलो आम का भोग अर्पित किया गया है. चूंकि आज एकादशी भी है, इसलिए केवल आम का ही भोग लगाया गया, बाकी सभी प्रकार के भोग इस दिन वर्जित होते हैं.
मंदिर में दर्शन करने आए श्रद्धालु भूपेंद्र ने बताया कि यह मंदिर 60 साल से अधिक पुराना है और यहां ठाकुर जी को आम बहुत प्रिय हैं. उन्होंने कहा कि आम जहां फलों का राजा है, वहीं ठाकुर जी महाराजाओं के भी राजा हैं, इसलिए उन्हें आम का भोग लगाना एक विशेष धार्मिक परंपरा है.
भूपेंद्र ने एक रोचक मान्यता भी साझा की. उन्होंने बताया कि एक बार ठाकुर जी गोकुल में अपने आंगन में खेल रहे थे, तभी एक गोपी आम बेचने आई. ठाकुर जी ने उससे आम मांगे, तो गोपी ने पूछा, "बदले में तुम क्या दोगे?" इस पर ठाकुर जी अंदर जाकर अनाज ले आए, लेकिन गोपी तक पहुंचते-पहुंचते उनकी मुट्ठी में थोड़ा ही अनाज बचा. गोपी ने जब ठाकुर जी का मासूम चेहरा देखा, तो उसने बिना कोई शर्त सभी आम ठाकुर जी को दे दिए और बचा हुआ अनाज अपनी टोकरी में रखकर चली गई.
(कमलदीप की रिपोर्ट)