Karwa Chauth 2025: करवा चौथ पर क्यों किया जाता है 16 शृंगार, क्या है इसका धार्मिक महत्व, जानें किन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए यह व्रत

Karwa Chauth Solah Sringar: करवा चौथ पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन 16 शृंगार का विशेष महत्व होता है. 16 शृंगार न केवल महिलाओं की सुंदरता बढ़ाता है बल्कि उनके सौभाग्यवती होने का प्रमाण भी है.

Karwa Chauth
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

Karwa Chauth 16 Shringar: करवा चौथ का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है. महिलाएं हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं. इस दिन महिलाएं 16 शृंगार करती हैं, जो न केवल उनकी सुंदरता को बढ़ाता है बल्कि उनके सौभाग्यवती होने का प्रमाण भी है.

करवा चौथ पर 16 शृंगार का महत्व
करवा चौथ की पूजा से पहले सुहागिन महिलाएं सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, काजल, गजरा, नथ, अंगूठी, झुमके, मांग टीका, मंगलसूत्र, पायल, बिछिया, आलता, मेंहदी, बाजूबंद और कमरबंद आदि पहनकर 16 शृंगार करती हैं. यह शृंगार माता करवा को समर्पित होता है. माना जाता है कि इससे वे प्रसन्न होकर व्रती को सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. ज्योतिषीय दृष्टि से 16 शृंगार  नौ ग्रहों को सक्रिय करता है और महिलाओं के शरीर के सात चक्रों को ऊर्जा प्रदान करता है. 16 शृंगार न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.

नई दुल्हन और अविवाहित महिलाओं के लिए सुझाव
नवविवाहित महिलाओं के लिए 16 शृंगार का विशेष महत्व होता है. सिंदूर, बिंदी और चांदी की बिछिया जैसे शृंगार अधिक प्रभावशाली माने जाते हैं. अविवाहित महिलाओं के लिए 16 शृंगार का पालन आवश्यक नहीं है. वे केवल तिलक और हल्के आभूषण पहन सकती हैं. सास द्वारा दी गई सर्गी में नए वस्त्र और शृंगार का सामान शामिल होता है. जिन महिलाओं को सर्गी नहीं मिलती, वे अपने पति से शृंगार का सामान प्राप्त कर सकती हैं.

चांदी की बिछिया का महत्व
चांदी की बिछिया सुहागिन महिलाओं के लिए शुभ मानी जाती है. चांदी का तत्व पैरों में पहनने के लिए उपयुक्त है और यह पंचतत्वों को सक्रिय करता है. करवा चौथ के दिन महिलाओं को अधिक से अधिक सोने और चांदी के आभूषण पहनने चाहिए. 

इन महिलाओं को नहीं रखना चाहिए करवा चौथ का व्रत
1. गर्भवती महिलाएं
2. स्तनपान कराने वाली महिलाएं
3. बीमार या कमजोर महिलाएं
4. मासिक धर्म के दौरान 

1. गर्भवती महिलाएं: करवा चौथा का निर्जला व्रत गर्भवती महिलाओं को नहीं रखना चाहिए क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर को नियमित पोषण और जल की आवश्यकता होती है, ताकि शिशू का सही विकास हो सके. लंबे समय तक भूखे-प्यासे रहने से बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. 

2. स्तनपान कराने वाली महिलाएं: करवा चौथा का निर्जला व्रत नवजात शिशु को दूध पिलाने वाली माताओं को नहीं रखना चाहिए. स्तनपान के दौरान शरीर को पर्याप्त ऊर्जा और तरल पदार्थ की जरूरत होती है. निर्जला उपवास से दूध की मात्रा में कमी आ सकती है, जिससे बच्चे को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता. ऐसे में स्तनपान कराने वाली महिलाएं को यह व्रत नहीं रखना चाहिए.

3. बीमार या कमजोर महिलाएं: करवा चौथा का निर्जला व्रत बीमार या कमजोर महिलाएं को नहीं रखना चाहिए. निर्जला उपवास शरीर पर दबाव डाल सकता है और स्वास्थ्य की स्थिति को बिगाड़ सकता है. 

4. मासिक धर्म के दौरान न रखें व्रत: हिंदू परंपरा के अनुसार मासिक धर्म के समय पूजा-पाठ की मनाही होती है. इस दौरान शरीर कमजोर होता है. उपवास करने से थकावट, सिरदर्द या चक्कर आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. ऐसे में मासिक धर्म के दौरान करवा चौथ का व्रत नहीं रखना चाहिए.


 

Read more!

RECOMMENDED