भगवान कृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी को होने के कारण इसको कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) कहते हैं. भगवान कृष्ण का जन्म वृष लग्न, वृष राशि और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान प्राप्ति ,आयु तथा समृद्धि की प्राप्ति होती है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है. जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर हो वे आज विशेष पूजा से लाभ पा सकते हैं.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami Muhurt) के समय के निर्धारण का नियम क्या है?
भगवान कृष्ण का जन्म वृष लग्न और वृष राशि में हुआ था. अतः जन्म का उत्सव इसी काल में मनाया जाता है. इस बार अष्टमी 26 अगस्त को प्रातः 03.40 पर शुरू होगी. इसका समापन 27 अगस्त को प्रातः 02.20 पर होगा, यानी 26 अगस्त की रात्रि में अष्टमी तिथि विद्यमान रहेगी. इस बार श्रीकृष्ण की पूजा का समय मध्यरात्रि 12.00 से 12.44 तक होगा. इसी अवधि में श्रीकृष्ण का जन्म होगा , जन्मोत्सव मनाया जाएगा.
किस प्रकार मनाएं किस प्रकार मनाएं जन्माष्टमी का पर्व?
प्रातःकाल स्नान करके आज के व्रत या पूजा का संकल्प लें. दिन भर जलाहार या फलाहार ग्रहण करें, सात्विक रहें. मध्यरात्रि को भगवान कृष्ण की धातु की प्रतिमा को किसी पात्र में रखें. उस प्रतिमा को पहले दूध से, फिर दही से, फिर शहद से, फिर शर्करा से और अंत में घी से स्नान करायें. इसी को पंचामृत स्नान कहते हैं. इसके बाद जल से स्नान कराएं.
ध्यान रखें कि अर्पित की जाने वाली चीज़ें शंख में डालकर ही अर्पित की जायेंगी. तत्पश्चात पीताम्बर, पुष्प और प्रसाद अर्पित करें. इसके बाद भगवान को झूले में बैठाकर झूला झुलाएं. झूला झुलाकर प्रेम से अपनी कामना कहें.
किन मन्त्रों (Krishna Mantra) और स्तुतियों से भगवान कृष्ण की उपासना करें?
श्री कृष्ण का नाम ही एक महामन्त्र है, इसका भी जप किया जा सकता है. इसके अलावा "हरे कृष्ण" महामन्त्र का भी जप कर सकते हैं. जीवन में प्रेम और आनंद के लिये "मधुराष्टक" का पाठ करें. श्री कृष्ण को गुरु रूप में प्राप्त करने के लिये श्रीमदभगवदगीता का पाठ करें. अपनी समस्त कामनाओं को पूर्ण करने के लिये "गोपाल सहस्त्रनाम" का पाठ भी कर सकते हैं.
जन्माष्टमी पर रात्रि 10.30 से 12.00 तक श्री कृष्ण के मन्त्र का जप करें. ऐसा करने से जीवन में आ रही रुकावटें दूर होंगी. आपको बता दें कि भगवान को अर्पित किये गये फूल या माला, विशेष ऊर्जा ग्रहण कर लेते हैं. इनको बिलकुल भी इधर-उधर या कूड़े में न फेंके. इनको या तो जल में प्रवाहित कर दें या मिट्टी में दबा दें.