मध्य प्रदेश की इस जगह जंजीरों में कैद हैं भगवान भैरव, केवड़े की खुशबू से महकता है मंदिर परिसर

कहा जाता है कि भगवान भैरव अक्सर बच्चों के साथ बाल रूप में खेलते थे, लेकिन खेल के बाद वे बच्चों को परेशान करते थे और नगर में हलचल मचाते थे. परेशान होकर लोगों ने पूजा-पाठ कर उन्हें शांत करने का प्रयास किया.

केवड़ा स्वामी मंदिर
gnttv.com
  • मध्य प्रदेश,
  • 12 मई 2025,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST
  • जंजीरों में कैद हैं भगवान भैरव
  • खुशबू से महकता है मंदिर परिसर

मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित केवड़ा स्वामी मंदिर रहस्य, आस्था और परंपराओं का अद्भुत संगम है. इस मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहां भगवान भैरव को जंजीरों से बांधा गया है. मान्यता है कि भगवान बाल रूप में नगर में उत्पात मचाते थे, जिसके कारण उन्हें रोकने के लिए यह उपाय किए गए. साथ ही मंदिर के प्रवेश द्वार पर खजूर का एक पेड़ लगाया गया है, जो प्रतीकात्मक रूप से भगवान को बाहर निकलने से रोकने के लिए है.

केवड़ा के खेतों से घिरे इस मंदिर में हर साल हजारों श्रद्धालु भैरव पूर्णिमा के अवसर पर दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं. मंदिर के पास स्थित विशाल मोतीसागर तालाब और प्राकृतिक वातावरण इसे और भी अलौकिक बना देते हैं. मंदिर परिसर में अब भी केवड़े के फूलों की भीनी-भीनी खुशबू हर समय फैली रहती है, जिससे इसका नाम केवड़ा स्वामी मंदिर पड़ा.

भैरव के बसने की कथा
स्थानीय जानकारों के अनुसार, कई सौ साल पहले राजपूत समाज के कुछ लोग भगवान भैरव की मूर्ति को गुजरात से राजस्थान ले जा रहे थे. आगर मालवा पहुंचते ही उनका रथ अचानक रुक गया और लाख कोशिशों के बाद भी आगे नहीं बढ़ पाया. इसे ईश्वरीय संकेत मानते हुए उन्होंने वहीं भगवान की स्थापना कर दी. तभी से यह स्थान भैरव की स्थायी निवास स्थली बन गया.

बाल भैरव के रूप में उत्पात और जंजीरों की कहानी
कहा जाता है कि भगवान भैरव अक्सर बच्चों के साथ बाल रूप में खेलते थे, लेकिन खेल के बाद वे बच्चों को परेशान करते थे और नगर में हलचल मचाते थे. परेशान होकर लोगों ने पूजा-पाठ कर उन्हें शांत करने का प्रयास किया. इसी मान्यता के तहत मंदिर के अंदर भैरव की मूर्ति को लोहे की जंजीरों में बांध दिया गया और उनके आगे एक खजूर का पेड़ लगा दिया गया, जिससे वह बाहर न आ सकें.

भक्तों की गवाही
मंदिर में दर्शन को आईं अपूर्वा, लाल साड़ी पहने एक श्रद्धालु कहती हैं, "भैरव बाबा की महिमा अपार है. जब भी कोई इच्छा लेकर आई, वह जरूर पूरी हुई है." वहीं, अरुण, जो चश्मा लगाए हुए थे, ने बताया, "यहां आकर मन को जो शांति मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती."

मनोज सिंह, जो पगड़ी पहने हुए थे और जिनके साथ कुछ दूल्हे भी थे, ने कहा, "हमारे कुलदेवता हैं भैरव बाबा. शादी के बाद दूल्हा-दुल्हन को यहां लाना हमारी परंपरा है."

पुजारी सूरज बताते हैं, "यह मंदिर भैरव पूर्णिमा पर विशेष रूप से जीवंत हो उठता है. सैकड़ों लोग यहां आकर दाल-बाटी बनाकर भगवान को भोग लगाते हैं."

केवड़ा का महत्व और मातृत्व से जुड़ी मान्यता
मंदिर के चारों ओर फैले केवड़े के खेतों के कारण इसे ‘केवड़ा स्वामी’ कहा जाने लगा. साथ ही एक रोचक मान्यता यह भी है कि अगर किसी मां को अपने नवजात को दूध पिलाने में कठिनाई हो, तो यहां के बावड़ी के पानी को अपने ब्लाउज पर छिड़कने से दूध उतर आता है.

भक्त सदा सुखी कहते हैं, "मेरी बहन को जब दूध नहीं उतर रहा था, तब यहां आने और जल छूने से चमत्कार हुआ."

केवड़ा स्वामी मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि यह उन धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को भी समेटे हुए है जो ग्रामीण भारत की आत्मा को दर्शाते हैं. मंदिर का रहस्यात्मक वातावरण, भैरव की जंजीरों में कैद मूर्ति, और खजूर का पेड़- यह सब भक्तों को आस्था के एक अनूठे संसार में ले जाता है.

(प्रमोद कारपेंटर की रिपोर्ट)


 

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