कान्हा की नगरी मथुरा में गणेश उत्सव की धूम इस बार भी विशेष है. यहां के वृंदावन स्थित मोटा गणेश मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. यह मंदिर अपनी चमत्कारी और विशाल गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “मोटा गणेश” के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि द्वापर युग में मां यशोदा ने भगवान गणेश को यमुना नदी से प्रकट किया था.
मोटा गणेश मंदिर का इतिहास और महत्व
वृंदावन के बड़े बाजार में, बांके बिहारी मंदिर के पास स्थित मोटा गणेश मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस मंदिर की गणेश प्रतिमा को लगभग 5500 वर्ष पुरानी माना जाता है.
धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण स्वयं बाल्यावस्था में मोटा गणेश जी के कंधे पर बैठकर निधिवन जाया करते थे, जहां पर वे महारास करते थे. मंदिर में भगवान गणेश के साथ उनकी दोनों पत्नियों रिद्धि और सिद्धि की भी आकर्षक मूर्तियां स्थापित हैं, जो ज्ञान, बुद्धि, सफलता और समृद्धि का प्रतीक हैं.
श्रद्धालुओं की आस्था और चमत्कारिक मान्यताएं
माना जाता है कि मोटे गणेश जी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं.
मंदिर के आसपास रहने वाले कई स्थानीय श्रद्धालुओं ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में भगवान गणेश की कृपा का प्रत्यक्ष अनुभव किया है.
मंदिर में पूजा-अर्चना और आध्यात्मिक वातावरण
मंदिर में प्रतिदिन विशेष पूजन और आरती का आयोजन होता है. गणेश उत्सव के दिनों में मंदिर में विशेष सजावट, धार्मिक अनुष्ठान और भक्ति संगीत का आयोजन किया जाता है. श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर का वातावरण शांत, पवित्र और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है, जो भक्तों को भगवान के और करीब ले जाता है.
श्रद्धालुओं के अनुभव
श्याम सुंदर शर्मा (सेवायत पुजारी, मोटा गणेश मंदिर) का कहना है कि यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है, भगवान श्रीकृष्ण के समय का है, लगभग 5500 वर्ष पुराना. इस मंदिर की ऐतिहासिकता और दिव्यता का अनुभव यहां आने वाला हर भक्त करता है.
श्रद्धालु गरिमा सिंह ने कहा, “हम यहां दर्शन के लिए आए हैं. मोटा गणेश जी का नाम तो बहुत सुना था, लेकिन अब जब एक महीने से वृंदावन में रह रहे हैं, तो मेरी बेटी रोज मंदिर के सामने से गुजरते समय बड़े ध्यान से गणेश जी को निहारती है. उसे बहुत अच्छा लगता है.”
स्थानीय श्रद्धालु कमलेश अरोड़ा ने कहा, “मैंने गणेश जी को अपना भाई माना है. मेरी जो भी मनोकामनाएं थीं, वे सभी पूरी हुईं. मैं पिछले 40 सालों से लगातार इनकी सेवा और पूजा कर रही हूं. मेरा घर मंदिर के सामने ही है.”
मोटा गणेश मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, आध्यात्मिकता और आस्था का संगम है. द्वापर युग से जुड़ी मान्यताओं और चमत्कारिक अनुभवों के कारण यह मंदिर आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है. गणेश उत्सव के अवसर पर यहां देशभर से भक्त पहुंच रहे हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.
(मदन गोपाल शर्मा की रिपोर्ट)
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