नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां स्कंदमाता जननी हैं और उनकी कृपा से संतानप्राप्ति होती है. बहुत से लोग खासतौर पर मां की पूजा करते हैं ताकि उनकी गोद भर जाए. अगर किसी के भी मन में संतान प्राप्ति की इच्छा है तो वे किसी पंडित से पूछकर देवी स्कंदमाता की पूजा-अर्चना कर सकते हैं.
कौन हैं मां स्कंदमाता
मां पार्वती के जननी रूप को स्कंदमाता कहते हैं. उनका नाम स्कंदमाता इसलिए पड़ा क्योंकि वह योद्धा भगवान स्कंद की मां हैं, जिन्हें कार्तिकेय और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, देवी स्कंदमाता सिंह पर सवार हैं और उनके चार हाथ हैं. एक हाथ में वह अपने पुत्र भगवान स्कंद को शिशु रूप में लिए हुए हैं और उनका दूसरा हाथ अभयमुद्रा में है, जो सभी भयों को दूर करता है. उनके दो अन्य हाथों में कमल के फूल हैं.
नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा विधि
नवरात्रि के 5वें दिन भक्त सुबह जल्दी स्नान करते हैं और पीले रंग के कपड़े पहनते हैं. अच्छे स्वास्थ्य, सकारात्मकता और खुशी के प्रतीक के रूप में पीले रंग के कपड़े दान किए जाते हैं. फिर पूजा करने वाले देवी की मूर्ति को एक चौकी पर स्थापित करते हैं और उन्हें पीले फूल, गंगाजल, कुमकुम और घी चढ़ाते हैं.
ऐसा माना जाता है कि जो लोग पूरी भक्ति के साथ मां स्कंदमाता की पूजा करते हैं, वह उन्हें सुख, समृद्धि और शक्ति का आशीर्वाद देती हैं. आप भोग में केले का प्रसाद चढ़ाकर स्कंदमाता को प्रसन्न कर सकत हैं.
स्कंदमाता के मंत्र