Paush Amavasya 2025: हिन्दू धर्म में पौष अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन स्नान, दान, तर्पण और जप का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के किए गए कर्मों से प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. साल का आखिरी महीना चल रहा है और इस महीने में पौष अमावस्या मनाई जाती है. हालांकि, लोगों में पौष अमावस्या की सही तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है कि आखिर इस बार 18 या 19 दिसंबर कब है. आइए जानते हैं पौष अमावस्या कब मनाई जाएगी, इसका शुभ मुहूर्त क्या है.
कब है पौष अमावस्या
दृक पंचांग के अनुसार, पौष अमावस्या की तिथि 19 दिसंबर को 4:59 एम से शुरू हो रही है और यह 20 दिसंबर को 7:12 एएम तक रहेगा. अब देखा जाए तो 20 दिसंबर को पौष अमावस्या तिथि सूर्योदय के बाद यानि सुबह 07:09 बजे के बाद 3 मिनट तक है. उदया तिथि के नियम के अनुसार, अमावस्या से जुड़े सभी धार्मिक, पितृ तर्पण, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य 19 दिसंबर को ही किए जाएंगे.
शुभ मुहूर्त
पौष अमावस्या के दिन जिन लोगों को स्नान और दान करना है, उनके लिए ब्रह्म मुहूर्त 05:19 ए एम से 06:14 ए एम तक है. इस समय में स्नान के बाद दान कर सकते हैं. वैसे ब्रह्म मुहूर्त के बाद 07:09 ए एम से लेकर सुबह 11:01 ए एम तक का समय स्नान दान के लिए अच्छा है.
पौष अमावस्या पर श्राद्ध का समय
पौष अमावस्या के दिन लोग स्नान के बाद अपने पितरों का स्मरण करते हैं और उनके निमित्त दान करते हैं. दान में आप अन्न, सफेद वस्त्र, फल आदि दे सकते हैं. अमावस्या के दिन पितर पितृ लोक से धरती पर आते हैं, इसलिए उनको तृप्त करने के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण आदि किया जाता है. जिन लोगों को पौष अमावस्या पर पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करना है, वे लोग दिन में 11:30 बजे से लेकर दोपहर 02:30 बजे के बीच कर सकते हैं.
पौष अमावस्या की क्या मान्यता है
मान्यता है कि इस दिन किए गए पितृ कर्मों से पितर प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इसके साथ ही, पौष अमावस्या का शुक्रवार के दिन पड़ना माता लक्ष्मी की कृपा से जुड़ा शुभ संयोग भी बना रहा है. मान्यताओं के अनुसार, शुक्रवार को श्रद्धा भाव से किया गया दान और पुण्य कर्म आर्थिक स्थिरता, सुख और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है.
पौष अमावस्या के दिन बच्चे का जन्म लेने का मतलब है खास
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जो बच्चा अमावस्या तिथि पर जन्म लेता है उसके जीवन में खुशियों का अभाव रहता है और कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. अमावस्या की रात को चांद बिल्कुल भी नहीं दिखाई देता है और इस समय नकारात्मक ऊर्जा का भी काफी ज्यादा प्रभाव रहता है. कहा जाता है कि अमावस्या के दिन जन्म बच्चे की कुंडली में दोष हो सकता है.
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