हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है. पौष अमावस्या पितरों को समर्पित माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अमावस्या के दिन पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों के किए गए कर्मों से प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. इस साल की अंतिम अमावस्या पौष अमावस्या है. इस साल पौष अमावस्या की तिथि दो दिन मिल रही है. जिसकी वजह से कई लोगों में इसको लेकर कन्फ्यूजन है. चलिए आपको बताते हैं कि पौष अमावस्या इस साल 19 दिसंबर को है या 20 दिसंबर को है?
क्या है पौष अमावस्या की तिथि?
दृक पंचांग के मुताबिक पौष अमावस्या की तिथि 19 दिसंबर सुबह 4 बजकर 59 मिनट पर शुरू हो रही है और 20 दिसंबर को सुबह 7 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. उदया तिथि के मुताबिक पौष अमावस्या 3 मिनट के लिए ही है. ऐसे में इतने कम समय में स्नान, दान और श्राद्ध जैसे धार्मिक कार्य करना संभव नहीं है. जबकि 19 दिसंबर को पौष अमावस्या की तिथि सूर्योदय 7 बजकर 9 मिनट से लेकर पूरे दिन तक है. इसलिए अमावस्या से जुड़े सभी धार्मिक, पितृ तर्पण, स्नान और दान जैसे शुभ कार्य 19 दिसंबर को किए जाएंगे. ऐसे में पौष अमावस्या 19 दिसंबर को मनाना सही होगा.
स्नान का सबसे अच्छा समय?
पौष अमावस्या के दिन स्नान-दान का मुहूर्त सुबह 5 बजकर 19 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक रहेगा. इस दिन पूजा का मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक रहेगा.
पौष अमावस्या पर क्या दान करना चाहिए?
पौष अमावस्या के दिन दान-पुण्य करना बहुत लाभकारी माना जाता है. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना चाहिए. इसके साथ ही गर्म कपड़े और कंबल दान करना चाहिए. इस दिन गायों को हरा चारा खिलाना चाहिए और गोशाला में दान करना चाहिए. इस दिन छत पर पक्षियों को दाना खिलाना चाहिए. माना जाता है कि इससे पुराने कष्ट और बाधाएं दूर होती हैं और भगवान की कृपा बनी रहती है.
पौष अमावस्या भारत में कहां-कहां मनाया जाता है?
पौष अमावस्या का धार्मिक महत्व है. इसे देश के तमाम हिस्सों में मनाया जाता है. दक्षिण भारत में मंदिरों में देवी-देवताओं की मूर्तियों को निकालकर तेप्पोत्सवम मनाया जाता है. उत्तर भारत में इस दिन पितरों का श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. पौष अमावस्या को छोटा पितृपक्ष भी कहा जाता है.
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