हिंदू धर्म में, करोड़ों देवी देवताओं में मां लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में जानते हैं. घरों और मंदिरों में देवी की रोज पूजा होती है. लेकिन दिवाली के दौरान इनकी पूजा-अर्चना खास तौर से की जाती है. धनतेरस का दिन तो मां लक्ष्मी के ही दिन के रूप में पूजा जाता है, इस दिन लोग सोना-चांदी अपने घरों में लेकर आते हैं.
लेकिन देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसे दिवाली के दिन सोने-चांदी से सजाया जाता है. जी हां, शायद आपको यकीन न हो लेकिन यहां हर तरह के करेंसी नोट भी चढ़ाए जाते हैं. यह मंदिर मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में स्थित है, जिसे महालक्ष्मी मंदिर के नाम से जाना जाता है. दिवाली पर इस मंदिर को फूलों से नहीं बल्कि नोटों से इसे सजाया जाता है.
नोटों से सजती हैं मंदिर की दीवारों
शायद सुनकर आपको थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये सच है कि महालक्ष्मी के मंदिर को करेंसी नोट्स से सजाया जाता है. आपने आजतक फूलों से मंदिरों की सजावट के बारे में सुना होगा, लेकिन कभी सोने-चांदी और नोट्स से मंदिर को सजते हुए देखा है? इस मंदिर ये सब होता है.
कहते हैं कि दिवाली के शुभ अवसर पर धनतेरस से लेकर पांच दिन के दीप उत्स्व का आयोजन किया जाता है और मंदिर की दीवार और मां की मूर्ति की सजावट नोट से की जाती है. इसके अलावा मंदिर के प्रांगण में मौजूद झालर को नोटों की गड्डियों से सजाते हैं.
सोने-चांदी का प्रसाद मिलने की मान्यता
अब इतने नोट और सोना अगर चढ़ाया जा रहा है, तो यकीनन मंदिर की सिक्योरिटी पर भी ध्यान दिया जाता होगा. यहां हर साल सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. कहते हैं जब पूजा-पाठ चलती है तब तक मंदिर के चारों ओर पुलिस पहरा देती है, ताकि मंदिर में कोई चोरी न हो.
प्रसिद्ध मंदिर के बारे में दिलचस्प कहानिया भी हैं. कहते हैं कि इस मंदिर जो भी भक्त दर्शन करने के लिए आता है, उसे प्रसाद में नोट दिए जाते हैं. कई लोगों को तो प्रसाद के रूप में सोना चांदी भी मिलता है. अगर मंदिर की पौराणिक कथा पर गौर करें, तो ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में राजा-महराजा सुख-समृद्धि और धन की प्राप्ति के लिए मंदिर में पैसे के साथ आभूषण चढाने के लिए आया करते थे.
उसके बाद ऐसा समझा जाने लगा कि मंदिर में पैसे या आभूषण चढाने से घर में धन की कमी नहीं होती, तब से भक्त मंदिर में आभूषण और पैसे चढाने लगे. यहां देशभर से दर्शन के लिए श्रद्धालु आते है.
लोग रखते हैं अपना धन
मंदिर के पुजारी संजय अमरलाल बताते हैं कि यहां लक्ष्मी जी, सरस्वती और गणेश जी के साथ-साथ आठ अन्य लक्ष्मी माता जी की भी प्रतिमाएं विराजित हैं. इस सारे धन को कुबेर का खजाना बोलते हैं और यह जनता का होता है. पब्लिक टैंकर में अपना पैसा जेवरात रखती है. अपना नाम, पता और एड्रेस लिख आती है और अपना फोटो लगवाती है.
इन लोगों को भाई दूज के बाद उनका धन सुरक्षित तरीके से दे दिया जाता है. यहां कितना पैसा आता है, कितने आभूषण आते हैं इसका आकलन नहीं लगाया जा सकता है.
(विजय मीणा की रिपोर्ट)