आज है ऋषि पंचमी, जानिए इस व्रत की पूजा विधि और कथा

आज ऋषि पंचमी के दिन जो लोग भी व्रत करते हैं, उनके परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. साथ ही वो सभी तरह के रोगों से दूर रहते हैं. अगर महिलाएं इस व्रत को करती है, तो उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान मिलता है.

ऋषि पंचमी
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 12:20 PM IST
  • पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
  • संतान प्राप्ति का मिलता है वरदान

आज ऋषि पंचमी है. हिंदू पंचांग के हिसाब से भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है. क्योंकि इस दिन सप्त ऋषियों का पूजन कर उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना की जाती है. माना जाता है कि अगर महिलाएं ऋषि पंचमी के दिन व्रत करती है तो उन्हें सुख-समृद्धि और संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है. चलिए आपको बताते है कि क्या है ऋषि पंचमी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

ऋषि पंचमी 2022 का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है. इस बार ये तिथि 31 अगस्त की शाम 3.22 बजे पर शुरू हुई और 1 सितंबर की दोपहर 2.49 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 1 सितंबर के दिन ऋषि पंचमी का व्रत किया जाएगा. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.05 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 01.37 मिनट तक रहेगा.

ऋषि पंचमी पूजन विधि
आज के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए, और फिर मंदिर को साफ करें. इसके बाद सभी देवी-देवताओं का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए. साथ ही फल-फूल और मिठाई अर्पित करें और भोग लगाएं. इसके बाद सप्त ऋषि से अपनी सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे और व्रत कथा पढ़ें और सुनाएं. इसके बाद आरती कर पूजा का समापन करें.

ऋषि पंचमी व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार विदर्भ नाम का ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास किया करता था. दोनों की एक पुत्र और एक पुत्री थी. ब्राह्मण ने एक योग्य वर देखकर अपनी बेची का विवाह उसके साथ तय कर दिया है. लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद बेसहारा पत्नी अपनी मायके लौट आई. एक दिन जब उत्तक की पुत्री सो रही थी, तब उसकी मां अपनी बेटी के शरीर से कीड़े उत्पन्न होते नजर आए. ये देखकर वो घबरा गई और सारी बात अपने पति को बताई.

उत्तक ब्राह्मण ने जब ध्यान लगाया तब उसे पता चला कि पूर्वजन्म में उसकी पुत्री ब्राह्मण की पुत्री थी. लेकिन महावारी के वक्त कुछ गलती होने के कारण और ऋषि पंचमी का व्रत न करने के कारण उसकी ये दशा हुई है. उसके बाद पिता के कहने पर पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत किया और वो स्वस्थ हो गई. 

 

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