Sahitya AajTak 2025: 'समाज में स्वीकार्यता बनाए रखो, कट्टरता से दूर रहो..' साहित्य आजतक में बोले कुमार विश्वास

साहित्य आजतक 2025 के दूसरे दिन कवि कुमार विश्वास ने रामकथा पर चर्चा की. कुमार विश्वास ने बताया कि जब भरत चित्रकूट में भगवान राम के पास गए तो भरत चाहते थे कि पहले शीश झुका लूं, जबकि राम चाहते थे कि भाई को गले लगा लूं. भगवान राम की जीत हुई. उन्होंने भरत को पहले गले लगाया और इस तरह से राम-भरत मिलाप हुआ. कुमार विश्वास ने बताया कि भगवान राम ने 14 साल में सिर्फ एक मित्र बनाया था, वो निषादराज थे.

Poet and Motivational Speaker Kumar Vishwas (Photo Credits: Chandradeep Kumar)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:16 PM IST

दिल्ली में मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में साहित्य आजतक 2025 के दूसरे दिन 'स्टेज 1- हल्ला बोल चौपाल' पर कवि और लेखक कुमार विश्वास 'अपने अपने राम' प्रोग्राम में रामकथा पर चर्चा की. इस दौरान कुमार विश्वास ने दो भाइयों का एक किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि एक बिजनेसमैन मुझे मिले और बोले कि अपने फार्महाउस पर आपसे रामकथा करानी है. पहले कुछ दिक्कतें थी, लेकिन अब ठीक हो गया. इसके बाद कुमार विश्वास ने सोचा कि हो सकता कि सेहत ठीक ना हो. उन्होंने पूछा कि क्या दिक्कत आई थी. तो उस बिजनेसमैन ने बताया कि भाई के साथ कंपनी को लेकर केस चल रहा था और अब वो केस जीत गए हैं. कुमार विश्वास ने सवाल उठाया कि भाई से केस जीतकर राम-लक्ष्मण की कथा सुनना चाहते हैं.

स्वीकार्यता बचाकर रखो- कुमार विश्वास
कृष्ण पर मां यशोदा गुस्सा करती हैं तो हम ये देखकर ताली बजाते हैं. ये हम लोगों में स्वीकार्यता है. कुमार विश्वास ने  कहा कि ये जो स्वीकार्यता है, इसे बचाकर रखो, कट्टर मत बनो. उन्होंने कहा कि मुझसे कई लोग कहते हैं कि वो ऐसा कर रहे हैं तो हम नहीं करेंगे. अरे, वो ऐसा करेंगे तो हम भी करेंगे. उन्होंने कहा कि हम भी फतवे देने लगे तो उनमें और हममें क्या फर्क रहेगा?

राम-लक्ष्मण के बचपन का किस्सा-
कुमार विश्वास ने राम और लक्ष्मण का एक किस्सा सुनाया.  उन्होंने कहा कि एक बार दशरथ के चारों बच्चों को जनता को देखने के लिए अलग-अलग पालने में रखा गया था. इस दौरान 3 बच्चे तो खुश थे, खेल रहे थे. लेकिन एक लक्ष्मण जी परेशान हैं, रो रहे हैं. ऐसा देखकर हर कोई परेशान हो गया. राज वैद्य को बुलाया गया, वो कुछ भी बता पाए. ज्योतिषी को बुलाया तो उन्होंने भी कुछ नहीं बताया. इसके बाद गुरु वशिष्ठ को बुलाया गया तो उन्होंने लक्ष्मण को उठाकर राम के पालने में लिटा दिया गया. इसके बाद लक्ष्मण चुप हो गए.

कुमार विश्वास ने कहा कि तुम पढ़े-लिखे हो, नौकरी करते हो, अगर तुम शादी के समय सोचते हो कि बेटी का पिता क्या देगा तो तुम इस देश में रहने लायक नहीं हो. पड़ोस में पाकिस्तान है, तुम वहां चले जाओ.

गुरु वशिष्ठ और राम का किस्सा-
कुमार विश्वास ने गुरु वशिष्ठ और चारों भाइयों का एक किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि एक बार राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न राजसभा जाने से पहले गुरु वशिष्ठ से आशीर्वाद लेने गए तो गुरु ने राम को सम्राट कहकर संबोधित किया. इसपर राम बोले कि गुरु जी आपने कभी मुझे सम्राट नहीं कहा. आखिर क्या वजह है? अगर आप नहीं बताएंगे तो हम राजसभा नहीं जाएंगे. इसर गुरु वशिष्ठ ने कहा कि एक प्रश्न का उत्तर दो. उन्होंने पूछा कि पृथ्वी पर सबसे अनमोल क्या है? इसपर शत्रुघ्न ने कहा कि ताई के समान और क्या है? लक्ष्मण ने कहा कि सीता मां के समान और क्या? भरत ने कहा कि भाई के समान और क्या? इसके बाद राम ने कहा कि जग की भलाई के समान कुछ भी नहीं है.

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