मिथिलांचल के लोगों ने मकर संक्रांति पर खूब खाया दही-चूड़ा, 300 टन से ज्यादा दही की हुई खपत

सारे रिकॉर्ड को तोड़ समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी में तीन सौ टन से भी ज्यादा दही की खपत हुई है. मिथिलांचल में मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा खाने की पुरानी परंपरा जीवित है. यही कारण है कि इस दिन दूध और दही की मांग बढ़ जाती है.

मिथिलांचल के लोगों ने मकर संक्रांति पर खाया 300 टन दही
gnttv.com
  • समस्तीपुर ,
  • 14 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:12 PM IST
  • मिथिलांचल में मकर संक्रांति के दिन दही और चूड़ा खाने की परंपरा है.
  • समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी में तीन सौ टन से भी ज्यादा दही की खपत हुई है.

मकर संक्रांति का पर्व इस बार दो दिन मनाया जा रहा है. इन दिन बिहार में दही चूड़ा का काफी महत्व होता है. मकर संक्रांति के शुभ दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर दही चूड़ा खाते हैं. दही चूड़ा मिथिला का एक खास व्यंजन है. मिथिलांचल में मकर संक्रांति पर्व के दिन दही और चूड़ा खाने की परंपरा है. ऐसे में इस बार अपने पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी में तीन सौ टन से भी ज्यादा दही की खपत हुई है. अपने ही पिछले साल के रिकॉर्ड को तोड़ते हुये समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी के लोगों ने खूब दही खाया. कई जगहों पर सामूहिक दही चूड़ा भोज का आयोजन हुआ. 

इसको देखते हुए मिथिला दुग्ध संघ समस्तीपुर सुधा डेयरी ने मकर संक्रांति के अवसर पर समस्तीपुर दरभंगा मधुबनी जिले के अपने उपभोक्ताओं को दूध और दही की कमी नहीं होने दी. डेयरी ने 280 टन दही और 22 लाख लीटर दूध का उत्पादन कर एक रिकॉर्ड बनाया है. मकर संक्रांति के मौके पर समस्तीपुर दरभंगा और मधुबनी जिले के लोगों ने पिछली बार रिकॉर्ड तोड़ दही खाया था. जिसको देखते हुए डेयरी ने इस बार दही और दूध का उत्पादन बढ़ा दिया है. इसके अलावे अगर डिमांड और बढ़ती है तो उत्पादन और बढ़ाने की भी तैयारी की गयी है.उम्मीद की जा रही है कि इस बार 14 जनवरी और 15 जनवरी तक दरभंगा समस्तीपुर और मधुबनी के लोग पिछले सारे रिकॉर्ड को तोड़ कर खूब दही और दूध खाने का नया रिकॉर्ड बनाने वाले हैं. 

मिथिलांचल के लोगों ने मकर संक्रांति पर खाया 300 टन दही

मकर संक्रांति पर हो जाती है दूध की कमी 

मिथिलांचल में आज भी मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा खाने की पुरानी परंपरा जीवित है. यही कारण है कि इस दिन दूध और दही की मांग बढ़ जाती है. स्थानीय लोगों का मानना है कि मकर संक्रांति पर हर बार दूध और दही की कमी हो जाती है. इसका कारण है कि इस पर्व पर दही बनाने के लिए दूध की मांग हर साल बढ़ती जा रही है. इस बारे में बात करते हुए स्थानीय निवासी मनोज कुमार गुप्ता कहते हैं कि मकर संक्रांति इस बार दो दिन पड़ा है और हमारे यहां दही चूड़ा का काफी महत्व होता है. आज के दिन लोग एक दूसरे के घर जाकर दही चूड़ा खाते हैं. दही चूड़ा मिथिला का एक खास व्यंजन है. दूध की इस वजह से आज के दिन किल्लत हो जाती है. 

क्या कहते हैं अधिकारी?

संघ के प्रबंध निदेशक धर्मेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया  कि हमारे इलाके में मकर संक्रांति का बहुत बड़ा पर्व होता है. इसमें दही चूड़ा और दूध का इस्तेमाल ज्यादा होता है. इस बार 22 लाख लीटर दूध खपत होने की उम्मीद है. पिछली बार 17 लाख लीटर दूध की खपत हुई थी. इतना ही नहीं पिछली बार 202 टन दही की खपत हुई थी, इस बार 280 टन बेचने का लक्ष्य रखा है. उन्होंने कहा कि इस तरह का उत्पादन बिक्री संघ के निदेशक मंडल के सदस्यों, कर्मचारियों और दुग्ध उत्पादक पशुपालकों की बदौलत संभव हो सका है. इस बार सुधा डेयरी ने अपने पिछले साल के सारे रिकॉर्ड को तोड़ उपभोक्ताओं की मांग के अनुरूप उत्पादन पूरा करने में सफलता हांसिल की है. हमने तीनों जिला समस्तीपुर, दरभंगा और मधुबनी के उपभोक्ताओं के जरूरत के मुताबिक उत्पादन में लगातार वृद्धि कर रहे है. संघ अपने उत्पादन में गुणवत्ता बनाये रखने की हमेशा कोशिश करता है. 

(समस्तीपुर से जहांगीर आलम की रिपोर्ट)

 

 

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