4 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या, स्नान-दान और पूजा का है पर्व; पितरों के लिए 12 बजे करें धूप-ध्यान

अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. अगर संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करने जाएं और सूर्य को जल अर्पण करें. अगर किसी कारण से पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगा जल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें.

शनिश्चरी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:56 PM IST
  • इस दिन खत्म होगा अगहन मास का कृष्ण पक्ष
  • शनिश्चरी अमावस्या के दिन करें शनिदेव की पूजा

4 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या है. इस दिन स्नान-दान और पूजा का बहुत महत्व है. इस दिन मार्घशीर्ष का कृष्ण पक्ष खत्म होगा और इसके अगले दिन यानि की 5 दिसंबर को शुक्ल पक्ष शुरू हो जाएगा.

ज्योषाचार्य का कहना है कि 3 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे से अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. लेकिन, शनिश्चरी अमावस्या 4 दिसंबर को मनाया जाएगा. जिस तिथि में सूर्योदय होता है, उस दिन स्नान-दान और पितृ कर्म करना चाहिए. 4 दिसंबर को जब सूर्य उदय होगा तब अमावस्या तिथि रहेगी और दोपहर एक बजे के बाद शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा शुरू होगी. चूंकि, अमावस्या शनिवार को मनाया जाएगा इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है.

पवित्र नदी में करें स्नान
अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है. अगर संभव हो तो पवित्र नदियों में स्नान करने जाएं और सूर्य को जल अर्पण करें. अगर किसी कारण से पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगा जल या किसी पवित्र नदी का जल मिलाकर स्नान करें. इससे पुण्य मिलता है. इस दिन तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है. इससे बहुत पुण्य मिलता है.

पितरों का करें ध्यान
शनिश्चरी अमावस्या के दिन दोपहर 12 बजे अपने पितरों का ध्यान करें. इसके लिए गाय के गोबर का कंडा जलाएं. गुड़ और घी डालकर धूप अर्पित करें. पूजा के दौरान अपने पितरों का ध्यान करें. संभव हो तो जरूरतमंदों को भोजन कराएं. इससे आपके पितरों को शांति मिलेगी.

शनिदेव की करें पूजा
शनिश्चरी अमावस्या के दिन विशेष रूप से शनि देव की पूजा करें. शनिदेव के लिए तेल का दान करें. शनि देव के मंत्र का जाप करें. अगर संभव हो तो काले वस्त्र और काले कंबल का दान करें.

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