Shani Jayanti 2022: शनि जयंती और वट सावित्री का विशेष योग दिलाएगा हर संकट से छुटकारा...करें ये महाउपाय

इस बार शनि जयंति और वट सावित्री का विशेष योग बन रहा है. शनि जंयति के दिन 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही शनि चालीसा का पाठ करने से भी बहुत लाभ मिलता है. शनि जयंती के दिन शनि मंदिर जाकर शनि देव को तेल, काला तिल, उड़द अर्पित करने से भी लाभ मिलता है.

Shani Jayanti and Vat Savitri
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 मई 2022,
  • अपडेटेड 12:03 PM IST
  • इस दिन सोमवती अमावस्या भी पड़ रही है
  • शनि की साढ़े साती से मिलेगा छुटकारा

ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस साल शनि जयंती 30 मई 2022, को मनाई जाएगी. माना जाता है कि शनि भगवान इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. इस दिन विधिवत तरीके से की गई पूजा शनि दोष, ढैय्या और साढ़ेसाती से छुटकारा दिलाती है. शनिदेव की कृपा से शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं से भी राहत मिलती है. इस बार शनि अमावस्या और भी ज्यादा खास इसलिए भी है क्योंकि इस दिन सोमवती अमावस्या का योग भी बन रहा है. इस दिन वट सावित्री की भी पूजा की जाएगी, जिसमें स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं. ऐसा संयोग 30 सालों बाद बन रहा है, जब शनिदेव अपनी ही राशि कुंभ में रहेंगे. ऐसे में शनि देव को प्रसन्न करने में आपको कई गुना ज्यादा लाभ मिलेगा.

क्या है तिथि?
जयेष्ठ मास की अमावस्या तिथि रविवार 29 मई 2022 को दोपहर 2 बजकर 54 मिनट पर आरंभ होगी जो कि 30 मई के दिन शाम में 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी. अतः उदया तिथि के अनुसार शनि जयंती 30 मई को मनाई जाएगी.

शनि देव मंत्र
शनि जंयति के दिन 'ॐ शं शनैश्चराय नम:' मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही शनि चालीसा का पाठ करने से भी बहुत लाभ मिलता है. शनि जयंती के दिन शनि मंदिर जाकर शनि देव को तेल, काला तिल, उड़द अर्पित करने से भी लाभ मिलता है. 

क्या है मान्यता?
शनि जयंती का हिंदू समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व है. यह त्योहार मध्य प्रदेश में बहुत लोकप्रिय है. कहा जाता है कि अगर किसी की कुंडली में शनि दोष या साढ़े साती का प्रभाव हो तो इस दिन पूजा और तेलभिषेक करने से उसके प्रभावों को कम किया जा सकता है. 

पूजा विधि
एक चौकी पर नया काले रंग का कपड़ा बिछाकर शनिदेव की तस्वीर या फिर प्रतीक के रूप में सुपारी रख दें. इसके बाद इसे पंचामृत से स्नान कराएं. फिर इस पर सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाने के साथ नीले रंग के फूल अर्पित करें. इसके बाद श्री फल सहित अन्य फल चढ़ाएं. आप चाहें तो सरसों का तेल, तिल भी चढ़ा सकते हैं. इसके बाद दीपक जलाकर शनिदेव का ध्यान करते हुए शनि चालीसा के साथ-साथ शनि मंत्र का भी जाप करें. 

क्या करें उपाय?
कहते हैं कि शनि देव कर्मों के अनुसार फल देते हैं. इस दिन अगर आप गरीब, असहाय, बुजुर्गों और महिलाओं की मदद करते हैं तो शनि देव प्रसन्‍न हो जाते हैं. अपनी सामर्थ्‍य के अनुसार  इस दिन जरूरतमंदों को पैसे, काले कपड़े, तेल, भोजन, तिल, उड़द आदि दान करें. ऐसा करने से शनि की महादशा में लाभ मिलता है. 

 

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