सावन के पावन महीने की शुरुआत हो चुकी है. यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए अत्यंत खास माना जाता है. सहारनपुर के राधा विहार में स्थित श्री औघड़दानी नर्मदेश्वर महादेव मंदिर में सावन के पहले सोमवार को विशेष उल्लास और श्रद्धा के साथ भगवान शिव का भस्म श्रृंगार किया गया. यह शिवलिंग कोई सामान्य शिवलिंग नहीं, बल्कि सवा पांच फीट ऊंचा नर्मदेश्वर शिवलिंग है, जिसे लगभग 25 वर्ष पूर्व स्वामी कालेंद्रानंद जी महाराज के सपने में भगवान शिव के दर्शन के बाद नर्मदा नदी से लाकर स्थापित किया गया था.
किया गया भभूत श्रृंगार
स्वामी कालेंद्रानंद जी का कहना है कि यह स्थान साक्षात शिव की उपस्थिति का केंद्र है, जहां उनकी विभिन्न रूपों में झलक मिलती है. सावन के चारों सोमवारों को नर्मदेश्वर शिव का अलग-अलग तरीके से श्रृंगार किया जाता है. लेकिन आज,पहले सोमवार को भगवान शिव का उनका प्रिय भभूत श्रृंगार किया गया. भभूत न केवल भगवान शिव के वैराग्य और त्याग का प्रतीक है, बल्कि यह मानव जीवन की क्षणभंगुरता की याद भी दिलाता है. यह श्रृंगार भक्तों को आत्मबोध की ओर प्रेरित करता है.
दूसरे राज्यों से भी आते हैं भक्त
स्वामी कालेंद्रानंद जी ने बताया कि इस मंदिर में न केवल सहारनपुर बल्कि हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान से भी हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और पूर्ण होने पर भंडारे का आयोजन करते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक खास पौराणिक कथा भी है जिसमें माता वैष्णो देवी, महाकाली और जुनेश्वर भैरव बाबा का उल्लेख मिलता है.
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में मां वैष्णो देवी का युद्ध जुनेश्वर भैरव बाबा से हुआ, जिसमें शक्ति क्षीण होने पर मां ने महाकाली का आह्वान किया और भैरव बाबा का वध हुआ. बाद में शिवजी प्रकट होकर मां से पूछते हैं कि मेरे भक्त का वध क्यों किया गया. तब भैरव बाबा ने शरण मांगी और मां भगवती ने उन्हें स्वीकार कर लिया. इसी प्रेरणा से पंचतत्व और 10 महाविद्याओं की सिद्धियों वाले भैरव बाबा के लिए यह विशेष सवा पांच फीट का शिवलिंग स्थापित किया गया, ताकि उनकी भक्ति और साधना स्थायी रूप से यहां की जा सके.
भक्तों का होता है कल्याण
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि श्रावण मास में शिव-पार्वती पृथ्वी पर भ्रमण कर भक्तों का कल्याण करते हैं और इस दौरान हर सोमवार मंदिर में कथा, कीर्तन और यज्ञ आयोजित होते हैं. श्रावण चतुर्दशी को शिव-पार्वती की विदाई के साथ यह पुण्य काल समाप्त होता है. ऐसे में इस पहले सोमवार को साक्षात औघड़दानी शिव के भभूत श्रृंगार ने श्रद्धालुओं को दिव्य अनुभूति कराई और मंदिर परिसर हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठा.
(अनिल कुमार भारद्वाज की रिपोर्ट)