Kanwar Yatra 2025: अब तक की सबसे भारी कांवड़! 201 लीटर जल की कांवड़ उठाकर क्यों निकला यह युवक, जानिए

अन्नू पहलवान ने लंबे अभ्यास के बाद यह कांवड़ उठाई है. अन्नू कहते हैं कि इतनी भारी कांवड़ उठाने के पीछे उनका एक संकल्प भी है.

अन्नू पहलवान ने पिछले साल 101 किलो की कांवड़ उठाई थी.
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 07 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

कांवड़ यात्रा में महादेव के भक्तों के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. कुछ ही दिन में दिल्ली से हरिद्वार के पूरे रास्ते पर भोले के भक्त अपनी अनोखी कांवड़ के साथ दिखाई देंगे. दिल्ली-यूपी से लेकर उत्तराखंड तक कांवड़ यात्रियों के लिए शासन प्रशासन ने इंतज़ाम करने शुरु कर दिए हैं. हालांकि कुछ कांवड़ यात्री अपनी यात्रा शुरु कर चुकें हैं.

‘201 लीटर जल लेकर शुरु की यात्रा’
ग्रेटर नोएडा के खेड़ी भनौता गांव के अन्नू पहलवान हरिद्वार से 201 लीटर जल लेकर चले हैं. अन्नू का दावा है कि यह अब तक की सबसे बड़ी कांवड़ है. अन्नू बताते हैं कि वह पिछले साल पहली बार कांवड़ लेकर निकले थे. उस वक्त उन्होंने 101 लीटर जल लेकर अपनी यात्रा पूरी की थी. अन्नू का सालहा-साल बेवजह इतनी भारी कांवड़ नहीं उठा रहे. बल्कि इसके पीछे उनका कुछ उद्देश्य है.

अन्नू कहते हैं कि इतनी भारी कांवड़ उठाने के पीछे उनका यह संकल्प है कि वह गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करवाना चाहते हैं. अन्नू खुद को गौ सेवक बताते हैं. उनकी ख़ुद की अपनी एक गौशाला है जिसमें 90 से ज़्यादा गाय हैं. 

6 महीने की प्रैक्टिस
इस कांवड़ यात्रा के लिए अन्नू पहलवान ने अपनी गौशाला में छह महीने तक अभ्यास किया है. वह कहते हैं कि वह 77 दिन की यात्रा मान कर चले हैं. फ़िलहाल उनकी यात्रा को 60 दिन से ज़्यादा हो चुके हैं. कांवड़ के नियम क़ानून के साथ वह अपने खान-पान का भी पूरा ख़याल रखते हैं. इसके लिए वह अपने साथ एक हलवाई और राशन का पूरा सामान लेकर चले हैं. कांवड़ यात्रा में कई ऐसे भोले के भक्त होते हैं जो हुड़दंग करते हुए चलते हैं. अन्नू ऐसे कांवड़ यात्रियों को हिदायत देते हैं कि भोले का नाम लेकर शांति से अपनी यात्रा करें और हुड़दंग से परहेज करें.

कब शुरू होगी कांवड़ यात्रा?
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए सबसे पवित्र समय में से एक माना जाता है. इसके कई आध्यात्मिक अनुष्ठानों में कांवड़ यात्रा का विशेष स्थान है. साल 2025 में कांवड़ यात्रा शुक्रवार, 11 जुलाई को शुरू होगी, जो श्रावण (सावन) महीने में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है. इसका समापन 23 जुलाई को होगा.

इस अत्यंत पूजनीय तीर्थयात्रा में शिवभक्त पवित्र नदियों से जल लाने के लिए यात्रा पर निकलते हैं, जिनमें से अधिकतर गंगा नदी है. वे कांवड़ (बांस से बनी सजावटी संरचना) में जल भरकर लाते हैं, जिसे वे शिव मंदिरों में जलाभिषेक के माध्यम से भगवान शिव को अर्पित करते हैं. 

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