Rangbhari Ekadashi: इस बार रंगभरी एकादशी काशी के लिए होगी बेहद खास, राजशाही पगड़ी में बाबा का होगा शृंगार

इस बार की रंगभरी एकादशी बेहद खास होने जा रही है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ पार्वती का गौना करा के शिवधाम लौटे थे.

रंगभरी एकादशी
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 02 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST
  • माँ पार्वती का गौना कराकर अपने धाम लौटे थे महादेव 
  • पिछले साल भक्त ने किया था 60 किलो सोने का दान

काशी में महाशिवरात्रि पर महादेव पार्वती के विवाहोत्सव से शुरू हुई रौनक और बाबा के भक्तों का उत्साह अब रंग भरी एकादशी में चरम पर होगा. इस बार पहला मौका होगा जब 'रंगभरी एकादशी' (3 मार्च) के दिन माँ पार्वती स्वर्णमंडित गर्भगृह में प्रवेश करेंगी. काशी की सड़कें जहां रंग अबीर गुलाल से सराबोर होंगी वहीं महादेव के भक्त भी दर्शन करने के लिए काशी पहुँचेंगे.

माँ पार्वती का गौना कराकर अपने धाम लौटे थे महादेव 
इस बार की रंगभरी एकादशी बेहद खास होने जा रही है. मान्यता है कि महाशिवरात्रि पर शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ पार्वती का गौना करा के शिवधाम लौटे थे. पिछले साल बाबा विश्वनाथ के एक भक्त ने जो स्वर्ण अर्पित किया था उससे गर्भगृह की दीवारों को स्वर्ण मंडित किया गया है. इस बार माँ गौरी स्वर्णमंडित गर्भगृह में पहली बार प्रवेश करेंगी. स्वर्णिम आभा से दमक रहे श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहले से कई गुना ज़्यादा भक्त इस विशेष दिन पर आएँगे. साथ ही काशी वासियों के लिए भी एक पर्व यादगार होगा.

पिछले साल भक्त ने किया था 60 किलो सोने का दान
पिछले साल महादेव के एक भक्त ने 60 किलो स्वर्ण का दान किया था. गर्भगृह की दीवारों पर स्वर्ण की परत चढ़ाए जाने से जहां महादेव के आँगन की चमक बढ़ी है वहीं वहाँ से सीधे गंगा का रास्ता भी बना है. पहली बार गर्भगृह से माँ पार्वती माँ गंगा के दर्शन सीधे कर पाएंगी।ये दिन खास इसलिए भी होता है कि पार्वती का गौना कराकर वापस आते महादेव अपने भक्तों के साथ होली खेलते हैं. इसलिए पूरी दुनिया भले ही होली पर रंगोत्सव मनाती हो पर महादेव के भक्त काशी में रंगभरी एकादशी को महादेव पार्वती के स्वागत में होली खेलते हैं.

राजशाही पगड़ी धारण करेंगे महादेव तो गौरा पहनेंगी बरसाने का घाघरा 
रंगभरी एकादशी के दिन महादेव और मां गौरा की चल प्रतिमा शहर भ्रमण पर निकलती है. इसी दिन से काशी में होली की शुरुआत मानी जाती है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा राजशाही पगड़ी धारण करेंगे. बाबा दूल्हे और संसार के स्वामी के रूप में दर्शन देंगे तो माँ पार्वती ख़ास तौर पर तैयार बरसाने की घाघरा पहनेंगी. बाबा के मस्तक गुलाल सजेगा. ये गुलाल मथुरा के जेल के कैदियों ने ख़ास तौर पर तैयार किया है. श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के सदस्य ब्रजभूषण ओझा कहते हैं कि, "ये दिन बहुत विशेष है. बाबा विश्वेश्वर रंगभरी एकादशी के दिन ही माँ पार्वती का गौना कराकर वापस लौटते हैं. बाबा की पावन मूर्ति को बाबा विश्वनाथ के आसान पर बैठाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस बार रंगभरी एकादशी इसलिए भी खास है, क्योंकि मां जब बाबा विश्वनाथ के आँगन में प्रवेश करेंगी और पालकी में बैठ कर तो बाबा के धाम को देखेंगी तो स्वर्ण जड़ित गर्भगृह और धाम के वैभव को देखेंगी." 

 

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