हिंदू धर्म में तुलसी विवाह (Tulsi Vivah) का विशेष महत्व है. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह धूमधाम से किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह करने से घर में सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है. मान्यता है कि तुलसी विवाह के दिन भगवान विष्णु चार महीने के योगनिद्रा के बाद जागते हैं. इस दिन से विवाह समारोहों की शुरुआत भी होती है.
कब है तुलसी विवाह
हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:33 बजे से प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 3 नवंबर 2025 को सुबह 2 बजकर 7 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार इस वर्ष 2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह मनाया जाएगा. तुलसी विवाह के दिन शादी की तरह सारे रीति-रिवाज किए जाते हैं जैसे कन्यादान, पूजन और मंगल गीत गाना.
2 नवंबर 2025 को तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त
1. तुलसी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगा.
2. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:50 से 5:42 बजे तक रहेगा.
3. अभिजित मुहूर्त सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 बजे तक रहेगा.
4. विजय मुहूर्त दोपहर 1:55 से दोपहर 2:39 बजे तक रहेगा.
5. गोधूलि मुहूर्त शाम 5:35 से शाम 6:01 बजे तक रहेगा.
6. अमृत काल सुबह 9:29 से सुबह 11:00 बजे तक रहेगा.
7. त्रिपुष्कर योग सुबह 7:31 से शाम 5:03 बजे तक रहेगा.
तुलसी विवाह के लिए जरूरी सामग्री
तुलसी विवाह के लिए हल्दी की गांठ, शालिग्राम, गणेशजी की प्रतिमा, शृंगार सामग्री, बताशा, फल, फूल, हल्दी, हवन सामग्री, गन्ना, लाल चुनरी, अक्षत, कुमकुम, घी, रोली, मिठाई, आंवला, बिंदी, चूड़ी, मेहंदी, तुलसी का पौधा और विष्णु भगवान की प्रतिमा.
तुलसी विवाह का विधि
1. तुलसी विवाह के दिन सुहागिन महिलाएं सोलह शृंगार करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और सुंदर मेहंदी लगाती हैं.
2. तुलसी विवाह घर के आंगन में कराना चाहिए. सबसे पहले उस जगह को पूरी तरह से साफ करना चाहिए.
3. शादी की परंपरा सूर्यास्त के बाद गोधूलि बेला में निभानी चाहिए.
4. तुलसी के गमले को दुल्हन की तरह सजाएं.
5. पूजा की चौकी पर तुलसी का गमला रखें और उसमें शालीग्राम को रखें.
6. इसके बाद कलश में जल रखें और उसमें 5 या 7 आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर रखें.
7. इसके बाद दीप जलाएं और दोनों को तिल चढ़ाएं.
8. दूध में भीगी हल्दी शालीग्राम और तुलसी माता को लगाएं.
9. तुलसी विवाह की रस्म के दौरान मंगलाष्टक का पाठ करें.
10. इसके बाद तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं. शालीग्राम की पूजा करें.
11. इसके बाद 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें और भोग लगाएं.
तुलसी विवाह के फायदे
1. तुलसी विवाह करवाने से विवाह में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं.
2. तुलसी विवाह कराने से ग्रहों का दुष्प्रभाव कम होता है और शीघ्र, शुभ तथा मनचाहा विवाह होने के योग बनते हैं.
3. विवाहित जोड़ों के जीवन में प्रेम, आपसी सामंजस्य, विश्वास और समझ बढ़ती है.
4. तुलसी विवाह संबंधों में आने वाले मतभेद, तनाव या दूरी को कम करता है और दांपत्य जीवन में सुख, शांति और स्थिरता लाता है.