वृंदावन में खोले गए बैकुंठ द्वार, पालकी में विराजमान होकर दर्शन देने पहुंचे भगवान रंगनाथ, साल में एक ही बार खुलता है ये

साल में एक बार खुलने वाले बैकुंठ द्वार पर बेहद ही आकर्षक सजावट की गई. द्वार को सजाने के लिए करीब एक हजार किलो से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के फूल वृंदावन, दिल्ली और बेंगलुरु से मंगाए गए. इसके साथ ही बैकुंठ लोक में की गई लाइटिंग एहसास करवा रही थी कि जैसे भगवान बैकुंठ धाम में विराजमान हों.

Vaikuntha gate
gnttv.com
  • वृंदावन ,
  • 10 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:14 PM IST
  • दर्शन देने पहुंचे भगवान रंगनाथ
  • वृंदावन में खोले गए बैकुंठ द्वार

मथुरा के वृंदावन में शुक्रवार को बैकुंठ एकादशी के अवसर पर बैकुंठ द्वार खोल दिया गया है. साल में एक बार खुलने वाले बैकुंठ द्वार पर विराजमान होकर भगवान ने भक्तों को दर्शन दिए. मान्यता है कि बैकुंठ द्वार से जो भक्त निकलता है उसे बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है.

बैकुंठ उत्सव की शुरुआत देर रात भगवान रंगनाथ की मंगला आरती से हुई. इसके बाद सुबह ब्रह्म मुहूर्त में भगवान रंगनाथ माता गोदा जी के साथ परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के मध्य निज मंदिर से पालकी में विराजमान हो कर बैकुंठ द्वार पहुंचे. यहां भगवान रंगनाथ की पालकी करीब आधे घंटे तक द्वार पर खड़ी रही. 

मंदिर के पुजारियों ने किया बैकुंठ द्वार पर पाठ
भगवान रंगनाथ की सवारी बैकुंठ द्वार पर पहुंचने पर मंदिर के श्री महंत गोवर्धन रंगाचार्य जी के नेतृत्व में सेवायत पुजारियों ने पाठ किया.  करीब आधा घंटे तक हुए पाठ और अर्चना के बाद भगवान रंगनाथ, शठकोप स्वामी, नाथ मुनि स्वामी और अलवार संतों की कुंभ आरती की गई. वैदिक मंत्रोचार के मध्य हुए पूजा पाठ के बाद भगवान रंगनाथ की सवारी मंदिर प्रांगण में भ्रमण करने के बाद पौंड नाथ मंदिर जिसे भगवान का निज धाम बैकुंठ लोक कहा जाता है, में विराजमान हुई. 

मंदिर के लोगों ने भगवान को भजन गा कर सुनाए
बैकुंठ द्वार से निकलने की चाह में हजारों भक्त रात से ही मंदिर परिसर में एकत्रित होना शुरू हो गए. मंदिर के पुजारी स्वामी राजू ने बताया कि 21 दिवसीय बैकुंठ उत्सव में 11 वें दिन बैकुंठ एकादशी पर्व पर बैकुंठ द्वार खोला जाता है. यह एकादशी वर्ष की सर्वश्रेष्ठ एकादशियों में से एक मानी जाती है. मान्यता है कि बैकुंठ एकादशी पर जो भी भक्त बैकुंठ द्वार से निकलता है उसे बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती हैं.

साल में एक बार खुलता है बैकुंठ द्वार
मंदिर की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनघा श्रीनिवासन ने बताया कि अलवार आचार्य बैकुंठ उत्सव के दौरान अपनी रचित गाथाएं भगवान को सुनाते हैं. बैकुंठ एकादशी के दिन दक्षिण भारत के सभी वैष्णव मंदिरों में बैकुंठ द्वार ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है. इसी परंपरा का निर्वाहन वृन्दावन स्थित रंगनाथ मंदिर में किया जाता है. 

साल में एक बार खुलने वाले बैकुंठ द्वार पर बेहद ही आकर्षक सजावट की गई. द्वार को सजाने के लिए करीब एक हजार किलो से ज्यादा अलग-अलग प्रजाति के फूल वृंदावन, दिल्ली और बेंगलुरु से मंगाए गए. इसके साथ ही बैकुंठ लोक में की गई लाइटिंग एहसास करवा रही थी कि जैसे भगवान बैकुंठ धाम में विराजमान हों. बैकुंठ एकादशी के अवसर पर भगवान रंगनाथ के दर्शन कर भक्त आनंदित हो उठे.

बैकुंठ एकादशी पर बैकुंठ द्वार खुलने के पीछे मान्यता है कि दक्षिण भारत के अलवार संतों ने भगवान नारायण से जीवात्मा के उनके निज बैकुंठ जाने के रास्ता के बारे में पूछा. जिस पर भगवान ने बैकुंठ एकादशी के दिन बैकुंठ द्वार से निकलने की लीला दिखाई. यह परंपरा आज भी श्री रंगनाथ मंदिर में पारंपरिक नियमानुसार मनाई जा रही है.

(मदन गोपाल शर्मा की रिपोर्ट) 

 

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