ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि और कृष्ण पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं.इसके साथ ही इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. आइए जानते हैं वर्ष 2023 में कब रखा जाएगा वट सावित्री व्रत, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
ज्येष्ठ अमावस्या सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास में दो बार रखा जाता है एक अमावस्या तिथि के दिन और एक पूर्णिमा तिथि के दिन. ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात्रि 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होगी और इसका समापन 19 मई 2023 रात को 09 बजकर 22 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में वट सावित्री अमावस्या व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा. इस दिन शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जो संध्या 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में पूजा-पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा सावित्री व्रत
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का शुभारंभ 3 जून 2023 को सुबह 11 बजकर 16 मिनट से होगा और इसका समापन 4 जून 2023 सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में यह व्रत 3 जून 2023 के दिन रखा जाएगा. पूर्णिमा तिथि के दिन रखे जाने वाले व्रत को वट पूर्णिमा व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन शिव योग दोपहर 02 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस शुभ योग में पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं.
व्रत का महत्व
सुहागिन महिलाएं वट सावित्री का व्रत अपने पति की लंबी उम्र की कामने के लिए रखती हैं. ऐसी मान्यताएं है कि इस व्रत को करने से पति पर आए सारे कष्ट दूर होते हैं. वट सावित्री की पौराणिक कथा के अनुसार, इस व्रत के प्रभाव से देवी सावित्री के पतिधर्म को देखकर मृत्यु के देवता यमराज ने उनेके पति सत्यावान को पुन: जीवनदान दिया था.
पूजा विधि
1. इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं
2. घर के मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित करें.
3. इस पावन दिन वट वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व होता है.
4. वट वृक्ष के नीचे सावित्री और सत्यवान की मूर्ति को रखें.
5. इसके बाद मूर्ति और वृक्ष पर जल अर्पित करें.
6. इसके बाद सभी पूजन सामग्री अर्पित करें.
7. लाल कलवा को वृक्ष में सात बार परिक्रमा करते हुए बांध दें.
8. इस दिन व्रत कथा भी सुनें.