बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर सनातन एकता और सामाजिक समरस्ता का मिशन छेड़ दिया है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री पदयात्रा पर निकले हैं. इस एकता पदयात्रा में धीरेंद्र शास्त्री अपने भक्तों के साथ यात्रा 170 किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं. दिल्ली के छतरपुर में मौजूद कात्यायनी मंदिर से 7 नवंबर को इस यात्रा की शुरुआत हुई थी. 16 नवंबर को यह यात्रा वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर पहुंचकर समाप्त होगी.
पदयात्रा में कब क्या होगा?
'सनातन हिंदू एकता' पदयात्रा का आज चौथा दिन है. आज रात पलवल में रात्रि विश्राम होगा। 11 नवंबर को पलवल के शुगर मिल से मीठा गांव तक यात्रा होगी. इसके बाद 12 नवंबर को होडल मंडी से वनचारी तक की यात्रा होगी. 13 नवंबर को कोटवन बॉर्डर से कोसी मंडी और 14 नवंबर को बिठौली में जाकर विश्राम होगा. 15 नवंबर को पदयात्रा राधा गोविंद जी मंदिर तक जाएगी और आखिरी दिन यानी 16 नवंबर को छठीकरा के चार धाम से शुरु होकर वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी मंदिर पर जाकर खत्म होगी.
पदयात्रा में हजारों की संख्या में भक्त-
170 किलोमीटर के सफ़र में धीरेंद्र शास्त्री की यह यात्रा दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के 400 से ज्यादा इलाकों से होकर गुजरेगी. जिनमें शहर-गांव, कस्बे और बस्तियां शामिल हैं. फिलहाल ये यात्रा जहां जहां से गुजर रही, वहां अपार जनसमूह का समर्थन मिल रहा है. बाबा बागेश्वर की पदय़ात्रा में उनके साथ हजारों की संख्या में अनुयायी शामिल हो रहे हैं. यात्रा में शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से लोग पहुंचे हैं. जगह-जगह पदयात्रियों का भव्य स्वागत हो रहा है. क्रेन से फूलों की बरसात हो रही है.
पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की अगुवाई में निकली सनातन एकता पदयात्रा को हम आम-ओ-खास का भरपूर समर्थन मिल रहा है. करीब 170 किमी लंबी इस पदयात्रा में देश के आध्यात्मिक साधु संतों से लेकर नामचीन हस्तियों तक का समर्थन मिल रहा है.
क्या है पदयात्रा का मकसद?
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मुताबिक इस यात्रा का मकसद समाज में फैले जात पात और ऊंच नीच के भेदभाव को खत्म करना है. मकसद एकता का है, सो जनता के साथ साथ राजनेताओं और अभिनेताओं का भी समर्थन बाबा बगेश्वर की इस पदयात्रा को मिल रहा है. बाबा बागेश्वर की पदयात्रा का मकसद हिंदुओं से जागने की अपील की है. उनका कहना है कि जातिवाद से उठकर राष्ट्रवाद के बारे में सोचना है. उनका कहना है कि हिंदुओं के संरक्षण के लिए देश को धर्म, जाति और छुआछूत से मुक्त कराने के लिए हम तीन राज्यों दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में पदयात्रा कर रहे हैं.
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