अजा एकादशी के दिन श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप करने का विधान है. साल में आने वाली 24 एकादशियों में से हर एकादशी पर विशेष मनोकामना की पूर्ति की जा सकती है. अजा एकादशी का व्रत रखने से साधक का कल्याण होता है और तन, मन तथा विचारों की शुद्धता आती है. माना जाता है कि इस शुभ तिथि पर कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से जीवन में मंगल होता है. ज्ञान की आवश्यकता वाले लोग वीणावादिनी के अध्ययन मंत्र का जप कर सकते हैं, जबकि धन की आवश्यकता वाले लोग माँ लक्ष्मी के मंत्र का जप कर सकते हैं. सभी कार्यों को पूर्ण करने के लिए सबसे उत्तम मंत्र है: "शरणागत दिनार्थ परित्राण परायण। सरवस्यात हरे देवी नारायण नमो सुते।" संकट में श्रीहरि का ध्यान वरदान है और उनके महामंत्र हर बाधा का निदान हैं. अजा एकादशी के दिन इन विशेष मंत्रों का जाप करके भगवान लक्ष्मी नारायण की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है. मंत्रों के जाप के लिए मध्य रात्रि का समय सबसे उत्तम माना गया है, लेकिन अजा एकादशी के दिन श्रीहरि के मंत्रों का जाप कभी भी किया जा सकता है. इससे संतान की सफलता का वरदान भी मिल सकता है. यह व्रत जीवन के संपूर्ण कल्याण के लिए रखा जा सकता है.