बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने अपने प्रवचन के दौरान दान और दिखावे पर तीखा प्रहार किया. उन्होंने एक पुराना किस्सा साझा करते हुए कहा, 'जब हमने रात को जा करके घर पे जाके देखे तो उसमें लिखा था मनोरंजन बैंक', जो उन्हें आरती के दौरान नकली नोट के रूप में मिला था. शास्त्री ने विदिशा के एक कंजूस व्यक्ति का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे लोग भगवान के सामने भी कंजूसी करते हैं और सिक्का ढूंढते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि दान हमेशा 'सुपात्र' को देना चाहिए, ताकि उसका सदुपयोग हो सके. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि दान का दुरुपयोग होता है, तो उसका पाप दाता को भी भुगतना पड़ता है. शास्त्री ने यह भी कहा कि धर्म हमेशा छिपकर करना चाहिए और पाप को उजागर कर देना चाहिए ताकि व्यक्ति निर्दोष हो सके. देखिए अच्छी बात.