यह प्रवचन मानव स्वभाव के विभिन्न पहलुओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं पर केंद्रित है. इसमें बताया गया है कि कैसे व्यक्ति अक्सर अपने पास जो है उसके लिए भगवान का धन्यवाद नहीं करता, बल्कि दूसरों की तुलना में खुद को कमतर महसूस करता है. एक उदाहरण के माध्यम से समझाया गया है कि कैसे एक व्यक्ति के पास जूते होने के बावजूद वह कंपनी के जूते न होने पर दुखी था.