जयपुर में स्थित गोविंद देव जी का दरबार भक्तों की आस्था का केंद्र है. भाद्रपद मास में विशेष रूप से श्री कृष्ण और गणपति की आराधना की जाती है. यह कान्हा का दरबार है जहां त्रिभंग मुद्रा में मनमोहन के दर्शन होते हैं. गोविंद देव जी महाराज ने स्वयं भक्तों को दर्शन दिए हैं. इस दिव्य धाम में कान्हा सांवले स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. कृष्ण के इस दरबार में आस्था, विश्वास और भक्ति की शक्ति साकार रूप में दिखाई देती है. मंदिर का प्रार्थना हॉल 119 फीट लंबा है, जिसकी छत बिना किसी खंभे के बनाई गई है. इस खूबी के कारण मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. गुलाबी नगरी का राजकाज आज भी गोविंद देव जी के नाम से ही चलता है. मान्यता है कि भगवान कृष्ण के इस स्वरूप की रचना उनके प्रपौत्र वज्रनाभ ने की थी. कहते हैं, वज्रनाभ ने अपनी दादी से पूछकर भगवान कृष्ण की तीन प्रतिमाओं का निर्माण किया था, जिनमें से गोविंद देव जी की प्रतिमा हूबहू भगवान कृष्ण के मुख जैसी थी.