आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव सो जाते हैं तो वे चार माह बाद कार्तिक माह की एकादशी को उठते हैं. उनके उठने के बाद कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली मनाते हैं. देव दीपावली का पौराणिक इतिहास कहता है कि भगवान शिव से विशेष संबंध के कारण देव दीपावली को त्रिपुरारी पूणिर्मा भी कहते हैं. देव दीपावली पर जलाया गया कामना का एक दीपक सुख समृद्धि के साथ साथ मोक्ष दिलाने वाला माना गया है.
In this video of Prarthna Ho Swikaar, we explain mythological beliefs associated with Kashi's Dev Deepawali.