पितृपक्ष के पंद्रह दिनों में पूर्वज धरती पर किसी न किसी रूप में आते हैं, इसलिए इन दिनों श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व होता है. श्राद्ध कर्म के साथ-साथ पितृपक्ष में पंचबली का भी बड़ा महत्व माना जाता है. पंचबली का अर्थ है पितरों के निमित्त पांच जीवों को भोजन अर्पित करना. इसमें गाय, कुत्ता, कौवा, चींटी और देवताओं के लिए भोजन का अंश निकाला जाता है. भोजन की तीन आहुति कंडा जलाकर दी जाती है, फिर पांच जगह पर अलग-अलग भोजन का थोड़ा-थोड़ा अंश निकाला जाता है. गाय पृथ्वी तत्व का, कुत्ता जल तत्व का, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इन पांचों को आहार देकर पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है. ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर आकर परिवारजनों को खुशियों का वरदान देते हैं. तर्पण और श्राद्ध से तृप्त होकर पूर्वज अपार सुख और संपन्नता का आशीर्वाद देते हैं और साथ ही कुंडली के शनि, राहु, केतु भी शांत हो जाते हैं.