पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से जीवन की परेशानियों को समाप्त करने की जानकारी दी गई है. यह बताया गया है कि पितृ संतुष्ट हैं या अशांत, इसका पता ग्रहों की स्थिति से चलता है. कुंडली में पितृ दोष के प्रभाव को दूर करने के उपाय भी बताए गए हैं. पितृपक्ष में विशेष कृपा पाने और पितृ दोष से मुक्ति के लिए पूरे मन से तर्पण करना आवश्यक है. श्राद्ध और पिंडदान के माध्यम से पितरों की आत्मा की शांति और मोक्ष के लिए प्रार्थना की जाती है. पिंडदान से न केवल पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है, बल्कि संतुष्ट पितृ सुख-समृद्धि का वरदान देते हैं. कुंडली में राहु के दूषित होने, राहु का सूर्य या चंद्रमा के साथ संयोग होने, गुरु चांडाल योग होने या केंद्र स्थान रिक्त होने पर पितृ दोष होता है. पितृपक्ष के दौरान शांत चित्त से तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और तर्पण करने वाले के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं. प्रसन्न होकर पितृ उन्हें सुख, समृद्धि और कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद देते हैं. प्रत्येक अमावस्या को पितरों का तर्पण करने, गरीबों और ब्राह्मणों में दान करने, गया तीर्थ में कृष्ण त्रिपंडिश श्राद्ध या प्रेता त्रिपंडिश श्राद्ध करने, अमावस्या पर निर्धन को भोजन कराने, पीपल का वृक्ष लगाने, श्रीमद् भागवत गीता का पाठ करने और घर के पूजा स्थान पर दीपक जलाने जैसे उपाय बताए गए हैं.