सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना चंद्रदेव ने की थी, जिन्हें प्रजापति दक्ष से श्राप मिला था. एक पौराणिक कथा के अनुसार, "भगवान चंद्रमान ने रोहिणी नाम की कन्या को बहुत प्यार करते थे, 26 का अनादर करते थे तो 26 ने अपने पिता प्रजापति के पास जाकर फरियाद किया तो प्रजापति ने उनको क्षय होने का साथ दिया" शिव की तपस्या से उन्हें श्राप से मुक्ति मिली और सोमनाथ में शिवलिंग की स्थापना हुई, जो भक्तों के कष्ट दूर करने वाला माना जाता है, तथा यहां एक बाण स्तंभ है जो सोमनाथ और दक्षिणी ध्रुव के बीच भूभाग न होने का संकेत देता है.