कथा में बैठने से अधिक महत्वपूर्ण है कथा का हृदय में बैठना. हनुमान जी ने राम जी से वरदान मांगा कि जहाँ भी कथा हो, वे वहाँ पहुँच सकें. कथा सुनने और हरि गुण गाने से प्रभु स्वयं दौड़े चले आते हैं.