हनुमान जी को मैनेजमेंट गुरु के रूप में वर्णित किया गया है जिनसे जीवन को साधने की कला सीखने की बात कही गई है। वक्ताओं ने बताया कि कैसे हनुमान जी को अपनी शक्तियों का ज्ञान नहीं था और जामवंत द्वारा बोध कराए जाने पर उन्होंने आत्मनिरीक्षण से उन शक्तियों को जागृत किया, जिसका उदाहरण लंका में दूत के कर्तव्य पालन के साथ शक्ति प्रदर्शन में दिखता है। इसके अतिरिक्त, हनुमान जी की भक्ति, माँ सीता के प्रति सम्मान (केवल उनके चरणों पर दृष्टि रखना), उनकी विनम्रता, सूर्य देव से ज्ञान प्राप्ति हेतु तपस्या, और उनकी अष्ट सिद्धियों व नव निधियों के रहस्य पर भी प्रकाश डाला गया।