सनातन वांगमय में भगवान शिव को अनादि माना गया है, क्योंकि उनके जन्म का कोई वर्णन किसी भी पुराण या ग्रंथ में नहीं मिलता. शिव स्वयंभू हैं, जिसका अर्थ है जिसने अपनी उत्पत्ति स्वयं की हो. विज्ञान भी मानता है कि जिसका आदि नहीं, उसका अंत भी नहीं हो सकता, इसलिए शिव अनंत भी हैं. वेदों और पुराणों में शिव की महिमा का विस्तृत वर्णन मिलता है.