विश्वामित्र राक्षसों के संहार हेतु श्रीराम को लेने अयोध्या पहुंचे. राजा दशरथ से जब उन्होंने राम को मांगा, तो वे अत्यंत व्याकुल हो गए और कहा, "राम हम नहीं दे सकते मर जाएंगे, राम नहीं देंगे राम हमारे श्वास हैं". प्रवचन में गुरु प्रणाम के महत्व और गर्भ से ही शिशु को संस्कार देने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया.